सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि प्रत्येक बोर्ड स्वायत्त और अलग है। इसलिए देश के सभी राज्य बोर्डों के लिए समान मूल्यांकन नीति बनाना असंभव है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इन्हें समान योजना को अपनाने का निर्देश नहीं दे सकती है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि प्रत्येक बोर्ड स्वायत्त और अलग है। इसलिए देश के सभी राज्य बोर्डों के लिए समान मूल्यांकन नीति बनाना असंभव है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इन्हें समान योजना को अपनाने का निर्देश नहीं दे सकती है।
न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि हम पूरी देश के विद्यार्थियों के लिए समान योजना बनाने का निर्देश नहीं दे सकते हैं। प्रत्येक बोर्ड को अपनी योजना तैयार करनी होगी। उन्हें इसके बारे में ज्यादा पता है और उनके पास सही सलाह देने वाले विशेषज्ञ भी मौजूद हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य बोर्डों को आज से 10 दिनों के भीतर मूल्यांकन के लिए योजना को अधिसूचित करने और 31 जुलाई तक आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परिणाम घोषित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सीबीएसई और आईसीएसई की तरह निर्दिष्ट समयरेखा बनाने को कहा है।