सूफी संगीत से लोगों की रूह तक उतर जाने वाली मखमली आवाज़ के फनकार कैलाश खेर को भला कौन नहीं जानता। आवाज के लिए मशहूर कैलाश खेर का आज अपना 48 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहीं है। आज देश-विदेश में कैलाश के करोड़ों फैंस हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब यही कैलाश अपनी लाइफ को ख़त्म कर देना चाहते थे।
नई दिल्ली: सूफी संगीत से लोगों की रूह तक उतर जाने वाली मखमली आवाज़ के फनकार कैलाश खेर को भला कौन नहीं जानता। आवाज के लिए मशहूर कैलाश खेर का आज अपना 48 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहीं है। आज देश-विदेश में कैलाश के करोड़ों फैंस हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब यही कैलाश अपनी लाइफ को ख़त्म कर देना चाहते थे।
इस जीवन से वो इतने परेशान, हताश हो चुके थे कि बस, मौत को ही गले लगाना चाहते थे। बाहुबली 2 में अपनी आवाज़ से जय जय कारा करवाने वाले कैलाश खेर कश्मीर में पैदा हुए। बेहद आम परिवार में पैदाइश हुई इनकी। कैलाश कश्मीरी पंडित हैं। इनके पिता लोक संगीत कार थे। कैलाश ने संगीत को अपना करियर चुना।
परिवार को ये मंज़ूर नहीं था। उनके पिता का कहना था कि संगीत से भगवान् को खुश किया जाता है, न कि इसे आर्थिक तरक्की का आधार बनाया जा सकता है। कैलाश अपने पिता से भिन्न मत रखते थे और शायद यही कारण था कि कैलाश मात्र 14 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिए। घर से बहुत दूर वो निकल गए।
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जगह-जगह की ठोकरें खाने के बाद कैलाश खेर दिल्ली पहुंचे और किसी तरह से यहां बच्चों को संगीत सिखाकर अपना खर्च निकालने लगे। कैलाश का ये काम बहुत पैसा तो नहीं देता, लेकिन उनकी दिनचर्या की गाड़ी बस, चल पड़ती थी। दिल्ली में ही उन्होंने कई बार संगीत के लिए प्रयास किया, एल्किन उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
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एक दिन अपनी असफलता और निराशा से परेशान होकर कैलाश खेर ने सोच लिया कि अब उनका मर जाना ही बेहतर है। उस समय कैलाश ने आत्महत्या की कोशिश की। लेकिन तभी उनके किसी दोस्त ने उन्हें ऐसा करने से रोका। उन्हें बताया कि शायद उनकी मंजिल उनका इंतज़ार मुंबई में कर रही है। दोस्त की उस आस भरी बात को सुनकर कैलाश मुंबई आ गए और उन्हें कुछ ही समय में कॉमर्शियल ऐड में जिंगल गाने को मिल गया। कैलाश खेर की ज़िन्दगी जो कभी मौत को गले लगाना चाहती थी, आज लाखों जिंदगियों की चहेती बन गई है। उतार चढ़ाव तो जिंदगी का हिस्सा है। इससे निराश न हों।