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कोरोना के अंत के लिए दुआ और दवा दोनों जरूरी, सीएम योगी खोलें धार्मिक स्थल : फरंगी महली

यूपी में लॉकडाउन खुलने के बाद रोजमर्रा की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। हालांकि अभी भी है कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इधर लॉकडाउन खुला है। तो दूसरी तरफ अब धार्मिक स्थलों को भी खोले जाने की मांग की जाने लगी है। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और वरिष्ठ धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखते हुए धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग की है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी में लॉकडाउन खुलने के बाद रोजमर्रा की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। हालांकि अभी भी है कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इधर लॉकडाउन खुला है। तो दूसरी तरफ अब धार्मिक स्थलों को भी खोले जाने की मांग की जाने लगी है। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और वरिष्ठ धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखते हुए धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग की है।

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मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सरकार से मांग करते हुए धार्मिक स्थलों को खोले जाने की अब जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि अब बाजार को खोलने की इजाजत मिल गई है। सिर्फ इबादतगाहों पर ही पाबंदी लगाना उचित नहीं है। इस सिलसिले में मैं सरकार की ओर से जो भी नियम और कानून बनाए जाएंगे, उस पर इबादतगाहों में पूरी तरह से अमल करने की लोगों से भी अपील करता हूं।

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि तमाम धार्मिक लीडरों ने तमाम त्यौहारों के मौके पर कोविड-19 प्रोटोकॉल पर पूरी तरह से अमल कराकर एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। रमजान और ईद जैसे तमाम मौकों पर भी मस्जिदों और इबादतगाहों में पूरी तरह से लॉकडाउन के नियमों पर अमल किया गया है। मौलाना ने कहा कि कम से कम हर इबादत गाह की क्षमता के अनुसार 50 फीसदी लोगों को जाने की इजाजत दी जाए, जिसमें मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य हो।

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से एक लंबे समय से लोग अपने घरों में रहने। उन्होंने कहा कि इबादतगाहों में न जाने की वजह से डिप्रेशन और मायूसी का शिकार हैं। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि लोगों को इबादतगाहों में जाने की इजाजत दी जाए, जिससे उनके दिलों को सुकून हासिल हो सके। मौलाना ने कहा कि कोरोना बीमारी के अंत के लिए सुरक्षा के उपायों पर अमल करने के साथ-साथ दुआ और दवा दोनों जरूरी है। इसलिए जब लोग इबादत गांवों में जाकर दुआ करेंगे, तो खुदा पाक की रहमत से उम्मीद है। इस बीमारी से हमारे देश को जल्द से जल्द छुटकारा मिल सकेगा।

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