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नौकरियों पर एक के बाद एक झूठ बोलकर आप युवाओं के जले पर नमक छिड़क रहे हैं, कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर लिखा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, नौकरियों पर एक के बाद एक झूठ बोलकर, आप युवाओं के जले पर नमक छिड़क रहें हैं! इसी वजह से हम RBI के संदिग्ध आंकड़ों के संबंध में आपसे 3 सवाल पूछना चाहते हैं- इसमें पहला सवाल है कि, ऐसा क्यों है कि आपने 10 वर्षों में 20 करोड़ नौकरियों का वादा कर, 12 करोड़ से ज़्यादा नौकरियां छीन ली?

By शिव मौर्या 
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, RBI की रिपोर्ट बताती है कि 2019-20 से 2022-23 बीच ऐसे 2.3 करोड़ लोग हैं, जो अपने रेग्युलर काम पर नहीं लौटे। यह स्पष्ट नहीं है कि RBI अपने 2023-24 नंबरों पर कैसे पहुंचा, यह देखते हुए कि उसने सेक्टर-वार ब्रेकअप का खुलासा नहीं किया, कुछ ऐसा जो उसने पिछले वर्षों में किया था।

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मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर लिखा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, नौकरियों पर एक के बाद एक झूठ बोलकर, आप युवाओं के जले पर नमक छिड़क रहें हैं! इसी वजह से हम RBI के संदिग्ध आंकड़ों के संबंध में आपसे 3 सवाल पूछना चाहते हैं- इसमें पहला सवाल है कि, ऐसा क्यों है कि आपने 10 वर्षों में 20 करोड़ नौकरियों का वादा कर, 12 करोड़ से ज़्यादा नौकरियां छीन ली? RBI की रिपोर्ट के अनुसार 2012 और 2019 के बीच में रोज़गार में 2.1 करोड़ की वृद्धि हुई, पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट कहती है कि ये वृद्धि केवल 2 लाख है, बल्कि दोनों ही रिपोर्टों का मुख्य स्त्रोत सरकारी PLFS सर्वे ही है। तो फ़िर सच्चाई क्या है?

उन्होंने दूसरा सवाल पूछा कि, क्या ये सच नहीं है कि सरकारी PLFS डाटा के मुताबिक़, जिसके स्त्रोत का RBI हवाला दे रहा है, उसमें 37% ‘कामकाजी’ महिलाएं Unpaid (अवैतनिक) हैं? ग्रामीण क्षेत्र में ये आंकड़ा 43% के भयावह स्तर पर है। तीसरा सवाल उन्होंने पूछा कि, क्या ये सही नहीं है कि सरकार के ही Annual Survey of Unincorporated Sector Enterprises (ASUSE) के अनुसार नोटबंदी, जीएसटी और कोविड-19 के तिगुने प्रभाव के कारण अनौपचारिक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 7 वर्षों में 54 लाख नौकरियां खत्म हो गईं?

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा कि, अगर RBI का डाटा मान भी ले, तो ये कोई ख़ुशी की बात नहीं है कि महामारी के कारण जो फैक्ट्री-कर्मचारी, शिक्षक, छोटे दुकानदार आदि जैसे लोग अपने गांव चले गए थे, उन्हें खेतिहर मज़दूर की तरह काम करना पड़ रहा है। RBI की रिपोर्ट बताती है कि 2019-20 से 2022-23 बीच ऐसे 2.3 करोड़ लोग हैं, जो अपने रेग्युलर काम पर नहीं लौटे। यह स्पष्ट नहीं है कि RBI अपने 2023-24 नंबरों पर कैसे पहुंचा, यह देखते हुए कि उसने सेक्टर-वार ब्रेकअप का खुलासा नहीं किया, कुछ ऐसा जो उसने पिछले वर्षों में किया था। मोदी जी, सालाना दो करोड़ नौकरियाँ देने के वादे को RBI का दुरूपयोग कर फ़र्ज़ी रिपोर्टों से मत छिपाईये।

 

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