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Chaitra Navratri 2024 Hawan Samagri : चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को करें हवन , जानें सामग्री और विधि

नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। भक्त गण इस दौरान उपवास रख कर माताइस की भक्ति करते है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Chaitra Navratri 2024 Hawan Samagri : नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। भक्त गण इस दौरान उपवास रख कर माताइस की भक्ति करते है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल 2024 से हो चुकी है और 17 अप्रैल 2024 महानवमी के दिन इसकी समाप्ति होगी।

पढ़ें :- Chaitra Navratri 2024 Hawan Samagri 2025 : हवन करने से पूर्ण हो जाती है चैत्र नवरात्रि साधना, जानें हवन-सामग्री और मंत्र

नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथि की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। आमतौर पर नवमी तिथि को हवन के साथ ही पूजा का समापन हो जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि में हवन करना बहुत शुभ माना जाता है।पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 16 अप्रैल को है। जबकि नवमी 17 अप्रैल को है।

नवरात्रि हवन के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। शास्त्रों के अनुसार हवन के समय पति- पत्नी को साथ में बैठना चाहिए। किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें। हवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें।

चैत्र नवरात्रि 2024 नवमी मुहूर्त (Chaitra Navratri 2024 Puja muhurat) चैत्र नवरात्रि शुक्ल नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल 2024 की दोपहर 1 बजकर 23 मिनट पर होगी जिसकी समाप्ति अगले दिन 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर होगी।

हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति देनी चाहिए। आप इससे अधिक आहुति भी दे सकते हैं। हवन के समाप्त होने के बाद आरती करें और भगवान को भोग लगाएं। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होते हैं। आप हवन के बाद कन्या पूजन भी करवा सकते हैं।

पढ़ें :- Chaitra Navratri Havan 2024 : चैत्र नवरात्रि में महानवनी को करें हवन , जानें आहुति देनी चाहिए

नवरात्रि की हवन सामग्री
लोहे का एक हवन कुंड, एक सूखा नारियल, काला तिल, कपूर, चावल, जौ, गाय का घी, लोभान, शक्कर, गुग्गल, आम, चंदन, नीम, बेल एवं पीपल की सूखी लकड़ी, इलायची, लौंग, पलाश और गूलर की छाल, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कलावा या रक्षासूत्र, हवन पुस्तिका, हवन सामग्री, धूप, अगरबत्ती, रोली, पान के पत्ते, मिष्ठान, 5 प्रकार के फल, गंगाजल, चरणामृत, शहद, सुपारी, फूलों की माला आदि।

 

 

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