चैत्र नवरात्रि का नाम हिंदू चंद्र कैलेंडर के पहले महीने 'चैत्र' से लिया गया है। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में आता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, चैत्र नवरात्रि त्योहार मार्च या अप्रैल के महीने में आता है।
Chaitra Navratri Havan 2024 : चैत्र नवरात्रि का नाम हिंदू चंद्र कैलेंडर के पहले महीने ‘चैत्र’ से लिया गया है। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में आता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, चैत्र नवरात्रि त्योहार मार्च या अप्रैल के महीने में आता है। नवरात्रि का पर्व हिंदुओं द्वारा पूरे नौ दिनों तक बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा और उनके नौ दिव्य रूपों की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों में से एक को समर्पित है और उसी के अनुसार प्रार्थना की जाती है।
जो लोग नवरात्रि में नौ दिन हवन नहीं कर पाते हैं वो अष्टमी या नवमी के दिन हवन जरूर करते हैं। नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथि की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। आमतौर पर नवमी तिथि को हवन के साथ ही पूजा का समापन हो जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि में हवन करना बहुत शुभ माना जाता है।
नवरात्रि हवन के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। शास्त्रों के अनुसार हवन के समय पति- पत्नी को साथ में बैठना चाहिए। किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें। हवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें।
चैत्र नवरात्रि 2024 नवमी मुहूर्त (Chaitra Navratri 2024 Puja muhurat) चैत्र नवरात्रि शुक्ल नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल 2024 की दोपहर 1 बजकर 23 मिनट पर होगी जिसकी समाप्ति अगले दिन 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर होगी।
हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति देनी चाहिए। आप इससे अधिक आहुति भी दे सकते हैं। हवन के समाप्त होने के बाद आरती करें और भगवान को भोग लगाएं। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होते हैं। आप हवन के बाद कन्या पूजन भी करवा सकते हैं।
नवरात्रि की हवन सामग्री
लोहे का एक हवन कुंड, एक सूखा नारियल, काला तिल, कपूर, चावल, जौ, गाय का घी, लोभान, शक्कर, गुग्गल, आम, चंदन, नीम, बेल एवं पीपल की सूखी लकड़ी, इलायची, लौंग, पलाश और गूलर की छाल, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कलावा या रक्षासूत्र, हवन पुस्तिका, हवन सामग्री, धूप, अगरबत्ती, रोली, पान के पत्ते, मिष्ठान, 5 प्रकार के फल, गंगाजल, चरणामृत, शहद, सुपारी, फूलों की माला आदि।