छठ पूजा(Chhath Puja) हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मनाई जाती है। साल 2021 में ये पूजा 10 नवंबर को होनी है। खासतौर पर बिहार,यूपी, झारखंड में इस त्योहार को मनाने का खास महत्व होता है। इसलिए इस पूजा के बारे में कुछ खास बातें आप जान लें और साथ ही में आज हम आपको इस त्योहार के इतिहास (History) व लोककथा के बारे में भी आज हम आपको बताते हैं।
Chhath Puja Special 2021: छठ पूजा(Chhath Puja) हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मनाई जाती है। साल 2021 में ये पूजा 10 नवंबर को होनी है। खासतौर पर बिहार,यूपी, झारखंड में इस त्योहार को मनाने का खास महत्व होता है। इसलिए इस पूजा के बारे में कुछ खास बातें आप जान लें और साथ ही में आज हम आपको इस त्योहार के इतिहास (History) व लोककथा के बारे में भी आज हम आपको बताते हैं। मान्यताओं के अनुसार, वेद और शास्त्रों के लिखे जाने से पहले से ही इस पूजा को मनाया जा रहा है क्योंकि ऋग्वेद में छठ पूजा जैसे ही कुछ रिवाजों का जिक्र है।इसमें भी सूर्य देव(Surya Dev) की पूजा की बात की गई है। उस समय ऋषि-मुनियों के व्रत रखकर सूर्य की उपासना करने की बात भी कही गई है।
हालांकि, छठ का इतिहास भगवान राम की एक कथा से जुड़ा हुआ है। लोककथा के अनुसार, सीता-राम दोनों ही सूर्य देव की उपासना के लिए उपास करते थे। ये कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में किया जाता था। ये उन्होंने वनवास से लौटने के बाद किया था। उसी समय से छठ पूजा एक अहम हिंदू त्योहार(Hindu Festival) बन गया और हर साल उसी मान्यताओं के साथ मनाया जाता है। आपने पिछले खबरों में पढ़ा है कि चार दिन तक चलने वाली इस पूजा में के तीन दिन क्या होता है। आज आप जानेंगे कि चौथे दिन की पूजा जो पूजा का अंतिम दिन होता है। उस दिन पूजा की क्या प्रकिया होती है। वो आप नीचे की तरफ पढ़ सकते हैं।
चौथा दिन:
सुबह का अर्घ्यचौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य की अर्घ्य दें। वर्ती प्रात सुबह पूजा की सारी साम्रगी लेकर घाट पर जाएं और पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान के निकलने का पूरा श्रद्धा से इंतजार करें। सूर्य उदय होने पर छठ मैया के जयकारे लगाकर सूर्य को अर्घ्य दें। आखिर में व्रती कच्चे दूध का शर्बत पीकर और प्रसाद खा कर अपना व्रत पूरा करें।