दिवगंत नेता रामविला पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में टूट पड़ गयी है। लोजपा के पांच बागी सांसदों ने मिलकर उन्हें संसदीय दल के नेता से हटा दिया है। साथ ही उनके चाचा पशुपति पारस पासवान को नया नेता चुना है। सियासी ड्रामे के बीच चिराग सोमवार अपने चाचार से मिलने उनके घर पहुंचे। लेकिन भतीजे की आने से पहले ही चाचा घर से चले गए।
पटना। दिवगंत नेता रामविला पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में टूट पड़ गयी है। लोजपा के पांच बागी सांसदों ने मिलकर उन्हें संसदीय दल के नेता से हटा दिया है। साथ ही उनके चाचा पशुपति पारस पासवान को नया नेता चुना है। सियासी ड्रामे के बीच चिराग सोमवार अपने चाचार से मिलने उनके घर पहुंचे। लेकिन भतीजे की आने से पहले ही चाचा घर से चले गए।
फिलहाल, चिराग पासवान जब अपने चाचा पशुपति पारस के घर पहुंचे, तो दिल की दूरियां इतनी बढ़ गईं कि चाचा के घर के दरवाजा भी उनके लिए नहीं खोला गया। चिराग पासवान घर के बाहर ही अपनी गाड़ी में बैठकर करीब 20 मिनट तक इंतजार करते रहे। इसके बाद घर का दरवाजा खोला गया। इससे पहले, पार्टी में चल रही उठापटक के बीच सोमवार को पशुपति पारस ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि उन्होंने पार्टी को तोड़ा नहीं बचाया है।
साथ ही कहा कि उन्हें चिराग पासवान से कोई नाराजगी नहीं है, अगर वे चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं। पशुपति पारस ने कहा, ”हमारी पार्टी के पांच सांसदों की इच्छा थी कि पार्टी को बचाना जरूरी है। मैंने पार्टी तोड़ी नहीं है, पार्टी को बचाया है। जब तक मैं जिंदा हूं, पार्टी को जिंदा रखूंगा। चिराग पासवान मेरे भतीजे हैं।
मुझे चिराग पासवान से कोई दिक्कत नहीं है। अभी भी वास्तविक पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ही है। अभी तक चिराग पासवान ही पार्टी के अध्यक्ष हैं, लेकिन अब वे चाहें तो आगे भी पार्टी में रह सकते हैं। हमें उनसे कोई शिकायत नहीं।”