योगी सरकार हाल ही में कई आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया है। इस तबादले में जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पांडेय को कमिश्नर झांसी मंडल के पद पर नई तैनाती प्रदान की गई है। सरकार ने उन्हें पदोन्नति देकर झांसी का आयुक्त बना दिया है।
गाजियाबाद। योगी सरकार हाल ही में कई आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया है। इस तबादले में जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पांडेय को कमिश्नर झांसी मंडल के पद पर नई तैनाती प्रदान की गई है। सरकार ने उन्हें पदोन्नति देकर झांसी का आयुक्त बना दिया है।
अजय शंकर पांडेय ने जनपदवासियों को दिया भावुक संदेश
अजय शंकर पांडेय ने संदेश में लिखा है कि आपके लिए काम करना और आपके साथ काम करना बहुत खुशी की बात थी। पिछले दो वर्षों में जो कुछ भी मैं कर सकता था, वह आपके सहयोग और समर्थन के बिना संभव नहीं था। हालांकि पिछले 15 महीने आप सभी के लिए कोविड महामारी के कारण काफी कठिन रहे हैं और दूसरी लहर वास्तव में प्रशासन के लिए भी चुनौतीपूर्ण थी। मैंने अपनी पूरी टीम और सहकर्मियों के साथ इसे प्रबंधित करने और अपने सभी कार्यों को पूरा करने और अपने सभी कर्तव्यों को पूरा करने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश की, फिर भी अगर आपकी कोई शिकायत अधूरी रह जाती है। तो मैं खुद व्यक्तिगत रूप से अपने और अपने अधिकारियों की ओर से बिना शर्त माफी मांगता हूं। मैं आपके द्वारा दिए गए प्यार का ज़िंदगी भर ऋणी रहूंगा। मैं दिल की गहराइयों से कामना करता हूं कि एक दिन गाजियाबाद देश का सबसे अच्छा रहने योग्य शहर के रूप में जाना जाए। इस शहर की तरक्की में अपना योगदान देते रहें। गाजियाबाद के लिए मेरा दिल हमेशा धड़कता रहेगा। एक बार फिर आप सभी का धन्यवाद। सादर प्रणाम और जय हिंद।
बतौर जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने बेटे की शादी बहुत साधारण तरीके से मई में संम्पन्न कराई। कोरोना के कारण अप्रैल में इस शादी को टालना भी पड़ा था। बेटे की शादी से पहले वह खुद संक्रमण की चपेट में आ गए थे, उपचार के लिए उनको यशोदा अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। जहां उन्होंने खुद एक साधारण व्यक्ति की तरह मरीज के साथ रूम शेयर किया था, ताकि मरीज को इलाज में कोई परेशानी न आए।
नवनियुक्त कमिश्नर झांसी ने ग़ाज़ियाबाद में बतौर जिलाधिकारी करीब 2 साल का वक़्त बिताया, इनमें से 15 माह वह कोविड-19 से जिलेवासियों के बचाव की चुनौती का सामना करते रहे। इसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे। अजय शंकर पांडेय की खासियत यह है कि वह व्यवस्थाओं की जानकारी के लिए अधीनस्थों की रिपोर्ट पर ही निर्भर नहीं रहते, खुद सच्चाई का पता लगाने के लिए लोगों के पास पहुंच जाते हैं।
यही नहीं जब पराली से प्रदूषण का मामला बढ़ा तो खुद ही फसल की कटाई का तरीका किसानो को समझाने खेत मे पहुंच गए थे। खुद अपने हाथ से फसल काटी थी। यही नहीं वह अपने कार्यालय में सफाई बागी खुद ही करते हैं। ताकि दूसरे लोग भी जागरूक रहें। पानी संरक्षण के लिए उन्होंने निर्देश दिए कि कलेक्टरेट में एक बूंद पानी भी व्यर्थ न जाए। एक बार ऑफिस में अधिकारी के न होने पर भी एसी चलते देख उन्होंने जुर्माना भी लगा दिया था। निर्देश दिए थे कि दिन में कार्यालय में बल्ब न जलाएं जाए। कार्यालय से बाहर निकलते वक़्त अधिकारी खुद ये सुनिश्चित करें कि ऊर्जा की बर्बादी न हो।