गौरव गोगोई ने कहा कि, जैसे-अगर आप जानना चाहते हैं कि बिहार में जो पुल टूट गए थे, उनके टेंडर अधिकारियों ने किस कॉन्ट्रैक्टर को दिए थे-तो इस एक्ट के जरिए सूचना और जानकारी का अधिकार साजिशन आपसे छीन लिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री को हमारा सुझाव है कि Section 44(3) को डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट से हटा दिया जाए। हमारे इस पिटीशन पर विपक्षी दलों के करीब 120 नेताओं के हस्ताक्षर हैं। हम जल्द ही इसे मंत्रालय में भेजेंगे।
नई दिल्ली। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने आज एक प्रेसवार्ता की। इस दौरान कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, जो डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट पास हुआ, उसमें एक बहुत ही खतरनाक सेक्शन है-Section 44(3), जो RTI एक्ट के Section 8(1)(j) को ही संशोधित कर रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि डेटा प्रोटेक्शन बिल ने RTI Act की धज्जियां उड़ा दी हैं। इसमें कहा गया है कि अगर RTI में ऐसी कोई जानकारी मांगी गई है, जिसका जनहित से कोई सरोकार नहीं है, तो उसका जवाब देना अनिवार्य नहीं है।
उन्होंने इसका उदाहण भी दिया है। गौरव गोगोई ने कहा कि, जैसे-अगर आप जानना चाहते हैं कि बिहार में जो पुल टूट गए थे, उनके टेंडर अधिकारियों ने किस कॉन्ट्रैक्टर को दिए थे-तो इस एक्ट के जरिए सूचना और जानकारी का अधिकार साजिशन आपसे छीन लिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री को हमारा सुझाव है कि Section 44(3) को डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट से हटा दिया जाए। हमारे इस पिटीशन पर विपक्षी दलों के करीब 120 नेताओं के हस्ताक्षर हैं। हम जल्द ही इसे मंत्रालय में भेजेंगे।
आशा है कि सरकार इस बिल के बारे में गंभीरता से विचार करेगी और हमारे सुझावों पर ध्यान देगी, क्योंकि हमारे इन सुझावों से मूल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट से Section 44(3) हटाकर, हम RTI एक्ट की आत्मा को बचा पाएंगे।
जो डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट पास हुआ, उसमें एक बहुत ही खतरनाक सेक्शन है- Section 44(3), जो RTI एक्ट के Section 8(1)(j) को ही संशोधित कर रहा है।
सबसे बड़ी बात ये है कि डेटा प्रोटेक्शन बिल ने RTI Act की धज्जियां उड़ा दी हैं। इसमें कहा गया है कि अगर RTI में ऐसी कोई जानकारी मांगी… pic.twitter.com/iB5azPPeur
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वहीं, इस दौरान समाजवादी पार्टी के नेता जावेद अली खान ने कहा कि, डेटा प्रोटेक्शन बिल पर बात रखने से पहले मैं ये बताना चाहता हूं कि जब मोदी सरकार ने 2019 में RTI Act में संशोधन किया था, यह एक्ट तभी कमजोर हो गया था। अब इस डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के माध्यम से सरकार जनता के बचे हुए अधिकार को भी ख़त्म करने जा रही है। इस सरकार को सूचना छिपाने से बड़ा प्यार है, वो नहीं चाहती कि जनता को सूचना मिले, इसलिए हम सभी ने तय किया है कि सरकार के द्वारा लाए जा रहे इस एक्ट पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई जाए।
शिवसेना (UBT) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि, आज डिजिटल प्लेटफॉर्म बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जिस तरह से सरकार घेराव की तैयारी कर रही, उससे खोजी पत्रकारिता को बहुत नुकसान होगा। ये बात मुझे कहने में कोई हिचक नहीं है कि देश का ब्रॉडकास्ट मीडिया कोलैप्स कर गया है। वो अब Spineless हो गया है। सरकार अब RTI Act को पूरी तरह से तबाह करने में जुटी हुई है। सरकार कई ऐसे प्रावधान लाई है, जिसके तहत अब जनता को जानकारी मिल ही नहीं पाएगी। ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
आज डिजिटल प्लेटफॉर्म बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जिस तरह से सरकार घेराव की तैयारी कर रही, उससे खोजी पत्रकारिता को बहुत नुकसान होगा।
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ये बात मुझे कहने में कोई हिचक नहीं है कि देश का ब्रॉडकास्ट मीडिया कोलैप्स कर गया है। वो अब Spineless हो गया है।
सरकार अब RTI Act को पूरी तरह से… pic.twitter.com/nINQWXWS1G
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उन्होंने आगे कहा, 2019 और 2021 में जब ये बिल लाने के कोशिश की गई थी, तब उनमें ये प्रावधान नहीं थे, लेकिन जब 2023 में मनमाने तरीके से बिल लाया गया, तब ये प्रावधान जोड़ दिए गए। ये सरकार इस बिल के जरिए प्रेस फ्रीडम और खोजी पत्रकारिता पर भी नकेल कसेगी। यहीं नहीं, इसमें जुर्माने का प्रावधान भी है, जो करोड़ों रुपए तक हैं। साथ ही, इस बिल की सबसे खराब बात ये है कि इसके तहत देशभर में जो डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनेंगे, उनके सारे निर्णय केंद्र सरकार के अधीन होंगे। इस बिल में केंद्र सरकार के पास यह भी ताकत होगी, जिसमें वो निर्णय लेंगे कि सूचना कौन साझा कर सकता है। ऐसे में सभी से यही निवेदन है कि इस बिल के खिलाफ आवाज बुलंद करें, ताकि हमारी जो मांग है वो पूरी हों और जनता, खोजी पत्रकारों और पत्रकारिता के अधिकार सुरक्षित रहे।