यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ के भटगांव भूमि अधिग्रहण धांधली (Defense Corridor Land acquisition Scam) में तत्कालीन डीएम आईएएस अभिषेक प्रकाश समेत कुल 16 अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुमति दे दी है।
लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ के भटगांव भूमि अधिग्रहण धांधली (Defense Corridor Land acquisition Scam) में तत्कालीन डीएम आईएएस अभिषेक प्रकाश (Then DM IAS Abhishek Prakash) समेत कुल 16 अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुमति दे दी है। इसमें तत्कालीन एडीएम (प्रशासन) अमर पाल सिंह, चार तत्कालीन एसडीएम, चार तहसीलदार के साथ अन्य अधिकारी हैं। तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश (Then DM Abhishek Prakash) को 20 मार्च को निलंबित किया जा चुका है, शेष का निलंबन तय माना जा रहा है।
डिफेंस कारिडोर (Defense Corridor) के लिए लखनऊ की सरोजनी नगर तहसील में भटगांव ग्राम पंचायत (Bhatgaon Gram Panchayat) की भूमि अधिग्रहण में किए गए घोटाले (Land Acquisition Scam) की जांच मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डा. रजनीश दुबे (The then Chairman of Revenue Council Dr. Rajneesh Dubey) से कराई थी। बीते वर्ष अगस्त माह में शासन को भेजी गई।
83 पन्नों की जांच रिपोर्ट में अभिषेक प्रकाश (Abhishek Prakash) सहित 18 अधिकारियों को आरोपित बनाया था। जांच में सुनियोजित षडयंत्र के तहत किए गए घोटाले में क्रय समिति के अध्यक्ष और तत्कालीन तहसीलदार सरोजनी नगर को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया था। कारिडोर में ईकाइयों की स्थापना के लिए वर्ष 2020-21 ब्रम्होस मिसाइल के अलावा रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई कंपनियां भूमि की तलाश रही थीं। इसके चलते भटगांव में भू-माफियाओं ने भूमि की दरें बढ़ा दी थीं। साथ ही अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके अधिग्रहण प्रक्रिया में फर्जी तरीके से दस्तावेजों में हेरफेर कर आवंटियों के नाम जोड़े गए थे।
आरोपित अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर पट्टे की असंक्रमणीय श्रेणी की भूमि को संक्रमणीय घोषित कर दिया था। भूखंडों पर जिन लोगों का कब्जा ही नहीं था उनको भी भूखंडों का मालिक बताया गया था। अधिकारियों ने मालिकाना हक की जांच के बिना ही मुआवजा वितरित कर दिया था।
भटगांव की करीब 35 हेक्टेयर भूमि के लिए 45.18 करोड़ रुपये शासन ने स्वीकृत किए थे। जांच में यह भी सामने आया था कि सरोजनी नगर तहसील में तैनात तत्कालीन अफसरों ने अपने रिश्तेदारों और नौकरों तक को भूमि दिलाकर करोड़ों रुपये मुआवजा हड़पा था। भू-माफिया ने किसानों से आठ लाख में भूमि खरीद कर 54 लाख रुपये में बेची थी।
जांच में 90 पट्टे फर्जी पाए गए थे। इनमें 11 व्यक्तियों के नाम पट्टे में दर्ज ही नहीं थे। भू-माफिया ने 35 वर्ष पुराना पट्टा दिखाकर पट्टों को संक्रमणीय भूमिधर जमीन घोषित कराया और 20 करोड़ रुपये का मुआवजा हड़प लिया था। घोटाले का राजफाश होने के बाद तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश ने कानूनगो जितेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।
इनको किया जाएगा निलंबित
घोटाले में तत्कालीन एडीएम (प्रशासन) अमरपाल सिंह को भी दोषी ठहराया गया है। इसके अलावा तत्कालीन एसडीएम संतोष कुमार सिंह, शंभू शरण सिंह, आनंद कुमार सिंह, देवेंद्र कुमार को भी दोषी ठहराया गया है। वहीं चार तत्कालीन तहसीलदार विजय कुमार सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, उमेश कुमार सिंह व मनीष त्रिपाठी के विरुद्ध भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। तत्कालीन नायब तहसीलदार कविता ठाकुर, तत्कालीन लेखपाल हरीश्चंद्र व ज्ञान प्रकाश को भी दोषी ठहराया गया है। तत्कालीन कानूनगो राधेश्याम व जितेंद्र सिंह तथा नैंसी शुक्ला के विरुद्ध भी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
सब रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों पर भी लटकी तलवार
घोटाले को लेकर सरोजनी नगर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में उस वक्त तैनात कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने घोटाले में शामिल सभी कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। घोटाले की प्रारम्भिक जांच में मंडलायुक्त ने भी इसे सुनियोजित षडयंत्र बताया था। बद्री पुत्र रामचरण के वारिसान रामकली ने बयान दिए थे कि राामसजीवन ने उन्हें पांच लाख रुपये देकर बैनामे पर अंगूठा लगवा लिया था। इसी प्रकार बाबूलाल की भूमि 19 अगस्त 2021 को असंक्रमणीय घोषित की गई थी, जबकि उससे पहले ही सूरज मिश्रा को विक्रय अनुबंध कर दिया गया था।
इसी प्रकार अंकित के वारिसान ने भूमि संक्रमणीय घोषित होने से पहले ही विक्रय अनुबंध कर लिया था। डिफेंस कारिडोर की सीमा के भीतर कुल नौ नंबरों (गाटा संख्या) और उस सीमा के बाहर 31 नंबरों की जमीन ऐसी थी, जो श्रेणी-5 (3 क) के अंतर्गत कृषि योग्य बंजर-इमारती लकड़ी के वन के रूप में दर्ज है। इसे किसी निजी व्यक्ति के नाम नहीं किया जा सकता। वहीं डिफेंस कारिडोर के लिए भूमि खरीदने वाली संस्था यूपीडा को जिस विक्रेता ने जमीन बेची, बिक्री की तिथि को उसका नाम भी खतौनी में दर्ज नहीं था। विजय कुमार को 14 जून 2021 को संक्रमणीय भूमिधर घोषित किया गया।
उन्होंने इस भूमि को 5.20 लाख रुपये में राजू को बेचा था। राजू ने वरुण कुमार मिश्रा और उनकी पत्नी सरिता सिंह को 14.50 लाख रुपये में भूमि बेची थी, जिसे बाद में सरिता और वरुण ने 13 जुलाई को यूपीडा को 57.60 लाख रुपये में बेच दिया।
अभिषेक का करीबी बताकर मेरठ का शख्स करता था करोड़ों की डील
इन्वेस्ट यूपी के निलम्बित सीईओ की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही है। लखनऊ में बतौर डीएम उनकी तैनाती के दौरान मेरठ के एक करीबी ने कई लोगों से वसूली की। वह सबको उनका करीबी बताकर झांसे में लेता था और काम कराने के बदले लम्बी डील करता था। इसके अलावा दो और लोगों के बारे में भी पुलिस को कई जानकारियां मिली है। इन सभी के बारे में पुलिस ब्योरा जुटा रही है।
मेरठ के इस शख्स ने पुराने लखनऊ के ही एक शख्स के भूमि विवाद और उसकी सम्पत्ति को जब्त करने से बचाने के लिए सौदा तय किया था। करोड़ों रुपये ही यह डील मेरठ के इस व्यक्ति ने की। दावा यहां तक है कि उसकी करतूत का वीडियो भी है। इस वीडियो की जानकारी होने पर उसने कुछ रकम पीड़ित को वापस कर दी थी पर बाकी रकम हजम कर गया था। इतना ही नहीं उसने कई और लोगों को ठगा। वह अभिषेक प्रकाश के अधीन रहे अफसरों से अक्सर मिलता रहता था। इस व्यक्ति को सब …हुसैन नाम से जानते थे। उसका असली नाम कुछ और बताया गया है।
मेरठ में भी पुलिस अधिकारियों के सम्पर्क में रहा अभिषेक प्रकाश का करीबी बता कर वह मेरठ के भी पुलिस और प्रशासन के अफसरों से मिलता रहता था। बताया जाता है कि उसके लिए अभिषेक ने मेरठ के पुलिस अफसरों को फोन भी किया था। बताया जाता है कि निकांत जैन से भी उसके तार जुड़े रहे हैं।