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दशहरा 2021:अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक दशहरा, जानें तिथि, मुहूर्त और विजयादशमी की पूजा

विजयादशमी का पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

दशहरा 2021: विजयादशमी का पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। दशहरा एक बहु-सांस्कृतिक त्योहार है। इस पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। नेपाल में इसे दशईं के रूप में मनाया जाता है। ये हिंदू लूनी-सौर कैलेंडर के अश्विन महीने के दसवें दिन मनाया जाता है। इसी दिन मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध किया था। कुछ स्थानों पर यह त्यौहार विजयादशमी,के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यतानुसार यह उत्सव माता विजया के जीवन से जुड़ा हुआ है।

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इसके अलावा कुछ लोग इस त्योहार को आयुध पूजा(शस्त्र पूजा) के रूप में मनाते हैं। कुछ राज्यों में इसे दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

इस त्योहार को रावण पर भगवान राम की जीत के रूप में मनाते हैं। रावण के पुतले, जो बुराई का प्रतीक हैं, आतिशबाजी के साथ जलाए जाते हैं। इस त्योहार को रावण पर भगवान राम की जीत के रूप में मनाते हैं। रावण के पुतले को आतिशबाजी के साथ जलाए जाते हैं।आइए जानते हैं कि 2021 में दशहरा कब है व दशहरा 2021 की तारीख व मुहूर्त।

विजय दशमी तिथि और शुभ मुहूर्त (Vijay Dashmi 2021 Date & Shubh Muhurat)

दशमी तिथि आरंभ- 14 अक्टूबर 2021 को शाम 06 बजकर 52 मिनट से
दशमी तिथि समाप्त- 15 अक्टूबर 2021 को शाम 06 बजकर 02 मिनट पर

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अपराजिता पूजा को विजयादशमी का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है, हालाँकि इस दिन अन्य पूजाओं का भी प्रावधान है जो नीचे दी जा रही हैं:

1. जब सूर्यास्त होता है और आसमान में कुछ तारे दिखने लगते हैं तो यह अवधि विजय मुहूर्त कहलाती है। इस समय कोई भी पूजा या कार्य करने से अच्छा परिणाम प्राप्त होता है। कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने दुष्ट रावण को हराने के लिए युद्ध का प्रारंभ इसी मुहुर्त में किया था। इसी समय शमी नामक पेड़ ने अर्जुन के गाण्डीव नामक धनुष का रूप लिया था।

3. क्षत्रिय, योद्धा एवं सैनिक इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं। यह पूजा आयुध/शस्त्र पूजा के रूप में भी जानी जाती है। वे इस दिन शमी पूजन भी करते हैं। पुरातन काल में राजशाही के लिए क्षत्रियों के लिए यह पूजा मुख्य मानी जाती थी।
4. ब्राह्मण इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करते हैं।
5. वैश्य अपने बहीखाते की आराधना करते हैं।

6. कई जगहों पर होने वाली नवरात्रि रामलीला का समापन भी आज के दिन होता है।
7. रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला जलाकर भगवान राम की जीत का जश्न मनाया जाता है।
8. ऐसा विश्वास है कि माँ भगवती जगदम्बा का अपराजिता स्त्रोत करना बड़ा ही पवित्र माना जाता है।
9. बंगाल में माँ दुर्गा पूजा का त्यौहार भव्य रूप में मनाया जाता है।

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