प्रथम पूज्य गणेश महाराज को सिद्धिविनायक भी कहा जाता है। भगवान गणेश भक्तों मनचाहा वरदान देते है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि को बहुत विधि विधान से भगवान विध्नहर्ता की पूजा की जाती है।
Ekdant Sankashti Chaturthi 2022 : प्रथम पूज्य गणेश महाराज को सिद्धिविनायक भी कहा जाता है। भगवान गणेश भक्तों मनचाहा वरदान देते है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि को बहुत विधि विधान से भगवान विध्नहर्ता की पूजा की जाती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 19 मई को है। मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पंचांग के मुताबिक इस बार की चतुर्थी एकदंत गणेश चतुर्थी है।भगवान गणेश को लड्डू या मोदक अत्यंत प्रिय है। मोदक के अलावा गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू भी पसंद है। भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा काफी पुरानी है।
पंचांग के मुताबिक संकष्ठी चतुर्थी के दिन सुबह साध्य योग का संयोग बन रहा है। साध्य योग दोपहर 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शुभ योग की शरुआत हो जाएगी।
इन मंत्रों से करें गणेश भगवान की पूजा
1.ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात.
2. ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश.
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश..
3. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा.
4. दुर्वा अर्पित करते हुए मंत्र बोलें ‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः’
5. एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्.