देश के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (Controller & Auditor General) ने एक बड़ा भ्रष्टाचार का खेल पकड़ा है। यह खेल नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highway Authority of India) के तरफ से किया जा रहा है। यह खेल 'भारतमाला परियोजना (BPP-1) के चरण-1 में हुआ है। सीएजी (CAG) ने पिछले दिनों ही इस प्रोजेक्ट के बारे में अपना ऑडिट रिपोर्ट (Audit Report) संसद में पेश किया है।
नई दिल्ली। देश के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (Controller & Auditor General) ने एक बड़ा भ्रष्टाचार का खेल पकड़ा है। यह खेल नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highway Authority of India) के तरफ से किया जा रहा है। यह खेल ‘भारतमाला परियोजना (BPP-1) के चरण-1 में हुआ है। सीएजी (CAG) ने पिछले दिनों ही इस प्रोजेक्ट के बारे में अपना ऑडिट रिपोर्ट (Audit Report) संसद में पेश किया है।
इसमें बताया गया है कि मोदी सरकार (Modi Government) ने द्वारका एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट (Dwarka Expressway Project) के लिए प्रति किलोमीटर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 18.20 करोड़ रुपये की हरी झंडी दी थी, लेकिन एनएचएआई (NHAI) के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर ने प्रति किमी 250.77 करोड़ रुपये के कंस्ट्रक्शन कॉस्ट की मंजूरी दे दी। इसी के साथ इस प्रोजेक्ट का कॉस्ट 7,287.29 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
जानें क्यों बनाया जा रहा है द्वारका एक्सप्रेसवे?
द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण इसलिए किया जा रहा है ताकि दिल्ली से गुड़गांव जाना-आना आसान हो सके। इस समय इसके लिए एनएच-48 का उपयोग होता है। उस पर लगभग हर समय वाहनों का काफी दवाब होता है। इसके लिए हरियाणा सरकार ने अपने राज्य में एनएचएआई (NHAI) को फ्री में जमीन उपलब्ध कराई है। हरियाणा सरकार की तरफ से 90 मीटर चौड़ी जमीन का राइट ऑफ वे फ्री में मिला है। इतनी जमीन में 14 लेन का हाईवे आराम से बन सकता है। राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि 14 लेन की सड़क बनाने के लए 70 से 75 मीटर चौड़ी जमीन पर्याप्त है।
सरकार ने क्या मंजूर किया?
सीएजी रिपोर्ट (CAG Report) के अनुसार सीसीईए ने भारतमाला प्रोजेक्ट (Bharatmala Project) को हरी झंडी देते वक्त 18.2 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की लागत तय की थी। बाद में एनएचएआई (NHAI) के बोर्ड ने द्वारका एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट (Dwarka Expressway Project) का सिविल कॉस्ट बढ़ा कर 7287.3 करोड़ रुपये कर दिया। मतलब कि हर किलोमीटर सड़क निर्माण की लागत 251 करोड़ रुपये हो गया।
इतना भारी खर्च की जरूरत नहीं
सीएजी का कहना है कि हरियाणा में द्वारका एक्सप्रेसवे का हिस्सा करीब 19 किलोमीटर का है। वहां इस सड़क में आठ लेन का एलीवेटेड मेन कैरिजवे होगा और छह लेन का ग्रेड रोड। जब एनएचएआई को हरियाणा सरकार ने फ्री में 90 मीटर चोड़ी जमीन दी है, तो वहां एलिवेटेड सड़क क्यों बनाई जा रही है। इतनी जमीन में तो आराम से 14 लेन की सड़क बन जाती। सीएजी का कहना है कि प्रोजेक्ट कॉस्ट में इतनी बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि वहां मैसिव स्ट्रक्चर बनाया जा रहा है।
कैबिनेट अप्रूवल वाला कॉस्ट चार लेन की सड़क का है
एनएचएआई (NHAI) के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केबिनेट जो प्रति किलोमीटर सिविल कॉस्ट का अप्रूवल दिया है, वह तो चार लेन की सड़क का है। द्वारका एक्सप्रेसवे 14 लेन का बनाया जा रहा है। इसमें आठ लेन का एक्सेस कंट्रोल्ड रोड है और छह लेन का सर्विस रोड। एक्सेस कंट्रोल्ड रोड का अधिकांश सेक्शन एलिवेटेड ही है। इसलिए प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ा है। इस बढ़े हुए कॉस्ट को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग की भी मंजूरी मिली है।
भविष्य की सड़क है यह
उनका कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली और गुड़गांव के बीच ट्रैफिक में भारी बढ़ोतरी होगी। दिल्ली-गुड़गांव के बीच जो आठ लेन का एक्सप्रेसवे बना है, वह तो इसके पूरी तरह से तैयार होने के पांच साल बाद ही चॉक्ड हो गया। वहां जगह जगह जाम लगने लगा। जब कोई नया हाइवे बनता है तो उसकी प्लानिंग अगले 10 से 15 साल की डिमांड को देख कर किया जाता है। जब एक्सप्रेसवे बनाया जाता है तो प्लानिंग होती है अगले 35 से 40 साल के डिमांड की। जब भविष्य के लिए निर्माण होगा तो उसी हिसाब से इनवेस्टमेंट भी तो बढ़ाना ही होगा।