नाम सुनकर जरुर आपको थोड़ा अजीब लगा होगा। पर यकीन मानिए टूंडे कबाब का जायका लोगों के सर चढ़ कर बोलता है।
Famous Tunde Kebab Lucknow: लखनऊ के जायकों की सीरीज में आज हम आपको लखनऊ के मशहूर टूंडे कबाब के बारे में बताने जा रहे हैं। नाम सुनकर जरुर आपको थोड़ा अजीब लगा होगा। पर यकीन मानिए टूंडे कबाब का जायका लोगों के सर चढ़ कर बोलता है।
टुंडे का मतलब होता है जिसका एक हाथ न हो
जो भी यहां के कबाब एक बार खा लेता है वो कबाब खाने के लिए बार-बार यहां दौड़ा चला आता है। जितना लजीज टुंडे कबाब का जायका है। उतनी ही दिलचस्प इसके नाम के पीछे की कहानी है। टुंडे का मतलब होता है जिसका एक हाथ न हो।
कहा जाता है कि हाजी मुराद अली पतंग उड़ाने के बेहद शौकीन थे। पतंग उड़ाने के दौरान उनका हाथ घायल हो गया था। कुछ वक्त बाद इसी वजह से उनका हाथ कट गया। हाथ कटने के बाद हाजी मुराद अली अपनी इसी दुकान पर बैठने लगे थे।
लोग टुंडा कहकर बुलाने लगे
जो भी इस दुकान पर कबाब खाने आता वह उन्हें एक हाथ न होने की वजह से लोग टुंडा कहकर बुलाने लगे। तब से यह दुकान टुंडे कबाब के नाम से मशहूर हो गई। टुंडे के गलावटी कबाब को खाने के लिए देशभर से लोग यहां आते हैं।
कहा जाता है कि खाने पीने के शौकीन नवाब अपनी अधिक उम्र होने की वजह से मुंह में दांत न होने के कारण खाने में परेशानी होने लगी। तब ऐसे कबाब बनाने की तरकीब निकाली गई जिसे बिना दांत वाले लोग भी खा सके। इसके लिए गोश्त को बारीक पीसकर और उसमें पपीते मिलाकर ऐसा कबाब बनाया गया जो मुंह में डालते ही घुल जाए। जिसे खाने से पेट के लिए भी फायदेमंद और स्वाद के लिए उसमें चुन-चुन कर मसाले मिलाए गए।