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किसान मोर्चा की सरकार से चौथे दौर की वार्ता भी फेल, ‘MSP गारंटी से कम कुछ भी मंजूर नहीं’ दिल्ली कूच 21 को

संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha)  ने केंद्र की मोदी सरकार (Morcha Government) के एमएसपी (MSP) के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सरकार की तरफ से कथित रूप से एमएसपी (MSP)  पर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव दिया गया है। किसानों का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर उन्हें पता चला है कि केंद्र सरकार A2+FL+50% के आधार पर एमएसपी (MSP) पर अध्यादेश लाने की योजना बना रही है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha)  ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) के एमएसपी (MSP) के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सरकार की तरफ से कथित रूप से एमएसपी (MSP)  पर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव दिया गया है। किसानों का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर उन्हें पता चला है कि केंद्र सरकार A2+FL+50% के आधार पर एमएसपी (MSP) पर अध्यादेश लाने की योजना बना रही है। किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha)   ने कहा कि C2+50% से नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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बयान के मुताबिक, किसानों के सामने मक्का, कपास, अरहर/तूर, मसूर और उड़द समेत पांच फसलों की खरीद को लेकर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि, किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि वे सी2+50% के फॉर्मूले के आधार पर ही एमएसपी की गारंटी चाहते हैं। किसान मोर्चा (Kisan Morcha) ने एक बयान में कहा कि बीजेपी ने खुद 2014 के चुनाव में अपने घोषणापत्र में इसका वादा किया था।

‘मोदी सरकार नहीं पूरे कर पा रहे वादे, तो पीएम बताएं’

किसान मोर्चा (Kisan Morcha) ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग (Swaminathan Commission) ने 2006 में अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार को C2+50% के आधार पर एमएसपी (MSP) देने का सुझाव दिया था। बयान में कहा गया है कि इसी के आधार पर तमाम फसलों पर वह एमएसपी (MSP) की गारंटी चाहते हैं। इसके जरिए किसान अपनी फसल एक फिक्स्ड कीमत पर बेच सकेंगे और उन्हें नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। मोर्चा ने कहा कि अगर मोदी सरकार बीजेपी के वादे को लागू नहीं कर पा रही है तो प्रधानमंत्री ईमानदारी से जनता को बताएं।

केंद्रीय मंत्री एमएसपी पर नहीं दे रही स्पष्टीकरण

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संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) का कहना है कि केंद्रीय मंत्री यह स्पष्ट करने को तैयार नहीं हैं कि उनके द्वारा प्रस्तावित एमएसपी A2+FL+50% पर आधारित है या C2+50% पर। चर्चा में कोई पारदर्शिता नहीं है जबकि चार बार चर्चा हो चुकी । यह दिल्ली सीमाओं पर 2020-21 के ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दौरान एसकेएम (SKM) द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक संस्कृति के खिलाफ है।

किसानों की केंद्र सरकार से मांगें

एसकेएम (SKM) ने मोदी सरकार (Modi Government) से ऋण माफी, बिजली का निजीकरण नहीं करने, सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना, 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10000 रुपये मासिक पेंशन, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Union Minister of State for Home Ajay Mishra Teni) को बर्खास्त करने की भी मांग की है।

21-22 फरवरी को किसान मोर्चा की मीटिंग

किसान मोर्चा (Kisan Morcha)  के बयान में कहा है कि किसानों के संघर्ष को तेज करने के लिए, मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों और कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार को जनता के बीच उजागर करने के लिए, पंजाब की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों पर “क्रूर दमन” को समाप्त करने की मांग की है। बयान के मुताबिक, किसान मोर्चा अगली मीटिंग 21-22 फरवरी तक करेगा, जहां आगे की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी।

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21 को होगा दिल्ली कूच

किसान नेता गुरनाम सिंह चाढ़ूनी (Farmer leader Gurnam Singh Chaduni) ने कहा कि 21 फरवरी तक का समय है। सरकार को सोचना और समझना चाहिए कि ये दो चीजें (तिलहन और बाजरा) (खरीद के लिए) बहुत महत्वपूर्ण हैं। जैसे उन्होंने दालों, मक्का और कपास का जिक्र किया, उन्हें इन दोनों फसलों को भी शामिल करना चाहिए. अगर इन दोनों को शामिल नहीं किया गया तो हमें इस बारे में फिर से सोचना होगा। कल हमने फैसला लिया कि अगर 21 फरवरी तक सरकार नहीं मानी तो हरियाणा भी आंदोलन में शामिल होगा। राजस्थान के ग्रामीण किसान मजदूर समिति के मीडिया प्रभारी (Media In-Charge of Rural Farmer Labor Committee of Rajasthan) रणजीत राजू (Ranjit Raju)  ने बताया कि सरकार के प्रस्ताव पर किसानों की सहमति नहीं बन सकी है। सभी फोरमों में बात करने के बाद अब किसान नेताओं ने फैसला लिया है कि 21 फरवरी को दिल्ली के लिए कूच करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार लाठियां भांजेगी तो खाएंगे, गोले दागेंगे तो उसका भी सामना करेंगे।

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