हिंदू धर्म (Hindu Religion) में विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ (karva chauth) का व्रत बेहद खासा महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार करके अखंड सौभाग्य के लिए भगवान से कामना करती हैं। अखंड सौभाग्य का पर्व करवा चौथ (karva chauth) हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है।
Karva chauth special: हिंदू धर्म (Hindu Religion) में विवाहित स्त्रियों के लिए करवा चौथ (karva chauth) का बहुत महत्व होता है। ऐसा माना जाता है, इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार ((solah shrrngaar) ) करके अखंड सौभाग्य के लिए भगवान से कामना करती हैं। आपको बता दें, करवा चौथ (karva chauth) का पर्व अखंड सौभाग्य हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है।
आपको बता दें, इस बार पूरे देशभर में 25 अक्टूबर को करवा चौथ (karva chauth) का पर्व मनाया जा रहा है। हालांकि करवा चौथ (karva chauth) का यह पर्व उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), राजस्थान (Rajasthan), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh), पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) जैसे राज्यों में बड़े ही हर्षोल्लास (gaiety) के साथ मनाया जाता है।
सुहागन महिलाएं करवा चौथ (karva chauth) का व्रत ग्रूप में भी करती हैं। इस खास मौके पर चंद्रमा को देखने से पहले विवाहित महिलाओं द्वारा एक समारोह का आयोजन किया जाता है। जिसमें व्रत करने वाली महिलाएं लाल रंग की साड़ी या लहंगा (red saree or lehenga) पहनकर सोलह श्रृंगार (solah shrrngaar) करके शामिल होती हैं।
इस समारोह में सभी महिलाएं गोल आकार में एक साथ बैठती हैं और अपनी पूजा की थालियों को घुमाते हुए करवा चौथ (karva chauth) की कहानी सुनाती हैं। इसके बाद महिलाएं देवी पार्वती की मूर्ति (Statue of Goddess Parvati) की पूजा कर अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं और अपने करवे को सात बार घुमाती हैं। इसके साथ ही भगवान को हलवा (Halwa), पूरी (Puri), मीठी मठरी (sweet mathri) और खीर का भोग लगाया जाता है।
अगर आप भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ (karva chauth) का व्रत कर रही हैं तो आपको बता दें कि विवाहित महिलाएं करवा चौथ (karva chauth) वाले दिन सूरज निकलने से पहले उठकर सरगी खाती हैं। ये सरगी उन्हें उनकी सास तैयार करके देती हैं।
सरगी खाने के बाद व्रत करने वाली महिला को तब तक पानी नहीं पीना चाहिए जब तक कि वो रात में चांद का दीदार ना कर लें। चांद के सामने छलनी से अपने पति का चेहरा देखकर और चांद को जल अर्पित करने के बाद अपने पति के हाथों से जल पीकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं।