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अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा ने किस हिंदू राजकुमार के लिए दे दी अपनी जान, इतिहास ने दी गवाही

इन दिनों फिल्म पद्मावती को लेकर विवाद और चर्चाएं जोरों पर है। इसके साथ ही रानी पद्मावती और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के इतिहास को जानने के लिए लोगों के मन में उत्सुकता भी बढ़ रही है। 

By आराधना शर्मा 
Updated Date

उत्तर प्रदेश: रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी से जुड़े इतिहास को वैसे तो अधिकांश लोग जानते हैं लेकिन आज हम इससे परे अलाउद्दीन खिलजी की बेटी और एक हिंदू राजकुमार की प्रेम कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि कैसे एक हिंदू राजकुमार की खातिर अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा ने अपनी जान दे दी थी

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फिरोजा को हुआ हिंदू राजकुमार से प्यार

इतिहास की कुछ किताबों में अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा और हिंदू राजकुमार वीरमदेव की प्रेम कहानी का जिक्र मिलता है। बताया जाता है कि जब अलाउद्दीन खिलजी की सेना गुजरात के सोमनाथ मंदिर को खंडित करने के बाद शिवलिंग को लेकर दिल्ली लौट रही थी तभी जालौर के शासक कान्हड़ देव चौहान ने शिवलिंग को पाने के लिए मुगलों की सेना पर हमला कर दिया था।

इस हमले में अलाउद्दीन की सेना को हार का सामना करना पड़ा औरअपनी जीत के बाद कान्हड़ देव ने उस शिवलिंग को जालौर में स्थापित करवा दिया। बताया जाता है कि जब अलाउद्दीन को अपनी सेना की हार का पता चला तब उसने इस युद्ध के मुख्य योद्धा और कान्हड़ देव चौहान के बेटे वीरमदेव को दिल्ली बुलाया। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि दिल्ली पहुंचने के बाद अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा की नजर राजकुमार वीरमदेव पर पड़ी और उसे पहली नजर में ही राजकुमार से प्यार हो गया।

फिरोजा ने अपने पिता खिलजी से कहा कि वो राजकुमार से प्रेम करती है और उससे शादी करना चाहती है। आखिरकार अपनी बेटी के इस जिद के आगे अलाउद्दीन हार गया और उसने अपनी बेटी के रिश्ते का प्रस्ताव वीरमदेव के सामने रखा। जसके बाद वीरमदेव ने वक्त की नजाकत समझते हुए इस रिश्ते पर विचार करने के लिए कहा, लेकिन जालौर लौटने पर इस रिश्ते के लिए मना कर दिया।

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वीरमदेव के लिए फिरोजा ने दे दी अपनी जान

जब वीरमदेव ने अलाउद्दीन की बेटी से रिश्ते का प्रस्ताव ठुकरा दिया तब गुस्से में आकर अलाउद्दीन ने अपनी सेना के साथ जालौर पर हमला कर दिया। खिलजी वीरमदेव को बंदी बनाकर रखना चाहता था उधर उसकी बेटी वीरमदेव के प्यार को पाने के लिए दिन-रात तड़प रही थी। अलाउद्दीन ने एक बड़ी फौज तैयार करके जालौर भेजा और उसकी सेना से लड़ते हुए वीरमदेव वीरगति को प्राप्त हुए। वीरमदेव की मौत की खबर सुनकर फिरोजा अंदर से बिल्कुल टूट सी गई और उसने यमुना नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।

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