किसी कार्य को करते समय जिन प्राकृतिक संकेतों को देखने या सुनने से जातक का कार्य आसानी से हो जाता है उसे ‘शुभ शकुन’ कहते हैं।
शकुन विचार: किसी कार्य को करते समय जिन प्राकृतिक संकेतों को देखने या सुनने से जातक का कार्य आसानी से हो जाता है उसे ‘शुभ शकुन’ कहते हैं। जिन संकेतों को देखने सुनने के बाद कार्य में अवरोध आता है और अंत में असफलता मिलती है उसे ‘अशुभ शकुन’कहते हैं। शकुन भविष्य के बारे में सूचना देते हैं, इसलिए मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व है। तुलसीदास जी कहते हैं, ‘‘अमृत, साधु, कल्पवृक्ष, सुंदर पुष्प, सुंदर फल, सुहावनी बात और श्री सीतारामजी की भगति (गुणगान), ये सात मंगलकारी शकुन हैं।
इसी तरह यात्रा में कपास, औषधि, तेल, दहकते अंगारे, सर्प, बाल बिखेरे, लाल माला पहने और नग्न अवस्था में किसी व्यक्ति का दिखाई देना, अमंगलकारी होता है। छींक विचार गरुड़ पुराण के अनुसार विभिन्न दिशाओं में छींक सुनाई देने का फल इस प्रकार है।
यात्रा पर जाते समय सबसे पहले सामने ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, फल, अन्न, दूध, दही, गौ, सरसों, कमल दिखे तो शुभ फल मिलते हैं। स्वच्छ वस्त्र, बाजा, मोर, नीलकंठ, नकुल, बंधा हुआ एक पशु, मांस, मांगलिक चिन्ह, फूल, गन्ना, भरा हुआ घड़ा ये चीजें भी दिखाई दें तो यात्रा पर शुभ फल मिलते हैं। छाता, गीली मिट्टी, कुंवारी कन्या, रत्न, पगड़ी, सफेद रंग का बैल, मद्य, लड़का लिए हुए स्त्री, प्रज्जवलित अग्नि, दर्पण, काजल, धुला हुआ वस्त्र यात्रा में सफलता की सूचना देते हैं।