गरुड़ स्पेशल फोर्स (Garud Special Forces) के जवानों ने भारतीय सेना (Indian Army) की अगुवाई में शनिवार को पुलवामा में चलाए गए एक ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई, जिसमें चार आतंकवादी मारे गए थे। पुलवामा मुठभेड़ के दौरान स्पेशल फोर्स के अधिकारी को दो बार गोली लगी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दहशतगर्दों पर गोलियां चलाना जारी रखा। एक समाचार एजेंसी ने सुरक्षा प्रतिष्ठान में अपने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
श्रीनगर। गरुड़ स्पेशल फोर्स (Garud Special Forces) के जवानों ने भारतीय सेना (Indian Army) की अगुवाई में शनिवार को पुलवामा में चलाए गए एक ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई, जिसमें चार आतंकवादी मारे गए थे।
पुलवामा मुठभेड़ के दौरान स्पेशल फोर्स के अधिकारी को दो बार गोली लगी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दहशतगर्दों पर गोलियां चलाना जारी रखा। एक समाचार एजेंसी ने सुरक्षा प्रतिष्ठान में अपने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। गरुड़ कमांडो चार साल पहले एक बड़े ऑपरेशन के लिए उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने 2017 में दो बड़े अभियानों में आठ आतंकवादियों को मार गिराया था।
भारत के सबसे खूंखार कमांडो में गरुड़ कमांडो (Garud commandos) का नाम लिया जाता है। खतरनाक हथियारों से लैस भारतीय वायु सेना के ये कमांडो दुश्मन को खत्म करने के लिए जाने जाते हैं। इनकी ट्रेनिंग ऐसी होती है कि ये बिना कुछ खाए हफ्ते तक संघर्ष कर सकते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि इनकी ट्रेनिंग किस तरह होती है और इनका कार्य व सैलरी क्या होती है।
आज के समय में गरुड़ कमांडो (Garud commandos) की सबसे ज्यादा तैनाती जम्मू और कश्मीर में होती है। क्योंकि अब घाटी में सेना एयर फोर्स कमांडो के साथ मिलकर अपने ज्वाइंट एक्शन को और तेज कर रही है। इसमें सबसे बड़ा सहयोग गरुड़ कमांडो (Garud commandos) का है। इन्हें एयरबोर्न ऑपरेशन, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररिज्म का जिम्मा उठाने के लिए ट्रेन किया जाता है। गरुण कमांडो (Garud commandos) जम्मू और कश्मीर में काउंटर इन्सर्जन्सी ऑपरेशंस (Counter Insurgency Operations) में भी ऑपरेट कर चुके हैं। शांति के समय उनकी एक मुख्य जिम्मेदारी होती है वायुसेना की एयर फील्ड की सुरक्षा करना।
गरुण कमांडो हैं बेहद खूंखार
आर्मी के पैरा कमांडो (Para Commando) व नेवी के मार्कोस कमांडो (Marcos Commando) की तरह गरुण कमांडो (Garud commandos) भी बेहद खूंखार हैं। इस फोर्स का गठन वर्ष 2004 में किया गया। कुछ महीने पूर्व ही सेना ने घाटी में अपने एंटी टेररिज्म ऑपरेशन (Anti Terrorism Operation) में गरुड़ कमांडो फोर्स (Garud Commando Force) को शामिल किया है।
इसलिए जरूरत पड़ी गरुड कमांडो की
भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को इस स्पेशल फोर्स की जरूरत तब पड़ी, जब 2001 में आतंकियों ने जम्मू और कश्मीर में 2 एयरबेस पर हमला किया। जिसके बाद इस स्पेशल फोर्स का गठन किया गया। गरुड़ कमांडोज (Garud commandos) की ट्रेनिंग नेवी के मार्कोस और आर्मी के पैरा कमांडोज (Para Commandos) की तर्ज पर ही होती है। इन्हें एयरबोर्न ऑपरेशन, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररिज्म का जिम्मा उठाने के लिए ट्रेन किया जाता है। गरुण कमांडो जम्मू और कश्मीर में काउंटर इन्सर्जन्सी ऑपरेशन (Counter Insurgency Operations) में भी ऑपरेट कर चुके हैं। शांति के समय उनकी एक मुख्य जिम्मेदारी होती है वायुसेना की एयर फील्ड की सुरक्षा करना।
तीन सप्ताह की कठिन ट्रेनिंग
इन कमांडो की ट्रेनिंग स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, इंडियन आर्मी और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स के साथ भी दी जाती है। जो इस फेज में सफल होते हैं, वे अगले दौर की ट्रेनिंग में जाते हैं। इस बेहद सख्त ट्रेनिंग में सफल रहने वाले जवानों को आगरा के पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल भेजा जाता है। जहां पर मार्कोस कमांडो (Marcos Commando) और पैरा कमांडोज (Para Commando) की तरह गरुण कमांडो (Garud commandos) भी अपने सीने पर पैरा बैज लगाते हैं। गरुड़ कमांडोज (Garud commandos) को मिजोरम में काउंटर इन्सर्जन्सी एंड जंगल वारफेयर स्कूल ( CIZWS) में भी ट्रेनिंग दी जाती है। भारतीय सेना का यह संस्थान अपारंपरिक युद्ध में विशेषज्ञता प्रदान करने वाला प्रशिक्षण संस्थान है। इस संस्थान में न केवल गरुड़ कमांडो, बल्कि दुनियाभर की सेनाओं के सिपाही काउंटर-इन्सर्जन्सी ऑपरेशन (Counter Insurgency Operations) की ट्रेनिंग लेने आते हैं।
सबसे खतरनाक हथियारों से लैस होते हैं गरुड़ कमांडो
गरुड़ कमांडो (Garud commandos) को अपने ट्रेनिंग के अंतिम दौर में भारतीय सेना के पैरा कमांडोज की सक्रिय रूप से तैनात यूनिट्स के साथ फर्स्ट हैंड ऑपरेशनल एक्सपीरियंस के लिए अटैच किया जाता है। गरुड़ कमांडोज दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक हथियारों से लैस होते हैं, जिनमें साइड आर्म्स के तौर पर Tavor टीएआर -21 असॉल्ट राइफल, ग्लॉक 17 और 19 पिस्टल, क्लोज क्वॉर्टर बैटल के लिए हेक्लर ऐंड कॉच MP5 सब मशीनगन, AKM असॉल्ट राइफल, एक तरह की एके-47 और शक्तिशाली कोल्ट एम-4 कार्बाइन शामिल हैं। गरुड़ कमांडो (Garud commandos) के पास इजराइल में बने किलर ड्रोन्स होता हैं, जो टारगेट पर बिना किसी आवाज के मिसाइल फायर कर सकते हैं। मॉडर्न हथियारों से लैस गरुड़ कमांडो हवाई हमले, दुश्मन की टोह लेने, स्पेशल कॉम्बैट और रेस्क्यू ऑपरेशन्स के लिए ट्रेंड होते हैं। एयर फोर्स के कमांडो स्निपर्स से भी लैस होते हैं, जो चेहरा बदलकर दुश्मन को झांसे में लाता है और फिर मौत के घाट उतार देता है। गरुड़ स्पेशल फोर्स के पास 200 UAV ड्रोन के साथ-साथ ग्रेनेड लांचर भी हैं।
गरुड़ कमांडो की सैलरी
गरुड़ कमांडो (Garud commandos) की सैलरी पैरा कमांडो (Para Commando) व मार्कोस कमांडो (Marcos Commando) की तरह होती हैं। अगर आप गरुड़ कमांडो (Garud commandos) में सब लेफ्टिनेंट की पोस्ट पर भर्ती होते हैं, तो आपकी सैलरी 72,100 से लेकर 90,600 रुपये तक हो सकती है। यह सैलरी आपकी पोस्ट के हिसाब से बदलती रहती है। गरुड़ कमांडो में सबसे हाईएस्ट सैलरी एक कैबिनेट सेक्रेटरी के बराबर 2,50000 रुपये तक हो सकती है। इसके अलावा इन्हें भारत सरकार द्वारा दी गई कई अन्य सुविधाएं जैसे कि हाउस रेंट अलाउंस ग्रेड पे (House Rent Allowance Grade Pay) और कई सुविधाएं बच्चों के लिए और परिवार के लिए भी होती हैं।