सहारा ग्रुप (Sahara Group) के निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। दरअसल जल्दी ही उन्हें अपना फंसा हुआ पैसा वापस मिल सकता है। सहारा-सेबी फंड (Sahara-Sebi Fund) में 24,000 करोड़ रुपये जमा हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसमें से 5,000 करोड़ रुपये अलॉट कर दिए हैं जिससे कि 1.1 करोड़ निवेशकों के पैसों का भुगतान किया जा सकेगा।
नई दिल्ली । सहारा ग्रुप (Sahara Group) के निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। दरअसल जल्दी ही उन्हें अपना फंसा हुआ पैसा वापस मिल सकता है। सहारा-सेबी फंड (Sahara-Sebi Fund) में 24,000 करोड़ रुपये जमा हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसमें से 5,000 करोड़ रुपये अलॉट कर दिए हैं जिससे कि 1.1 करोड़ निवेशकों के पैसों का भुगतान किया जा सकेगा।
SC में सरकार ने दी थी याचिका
बता दें कि हाल में सरकार ने निवेशकों के पैसों का भुगतान के लिए 5,000 करोड़ रुपये अलॉट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से दरख्वास्त की थी। इस संबंध में सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Cooperation) के पिनाक पानी मोहंती द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें कई चिट फंड कंपनियों और सहारा क्रेडिट फर्मों (Sahara Credit Firms) में निवेश करने वाले जमाकर्ताओं को राशि का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सहारा फर्मों के खिलाफ CBI जांच की भी थी मांग
जनहित याचिका में सहारा फर्मों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच की मांग भी की गई थी और चिट-फंड कंपनियों के खिलाफ मामले की जांच के दौरान एजेंसी द्वारा अब तक जब्त की गई राशि की मांग की गई थी। जिसका उपयोग निवेशकों को वापस देने के लिए किया जाए। भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) 18 अन्य विभागों और जांच एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ मंत्रालय के तहत एक हाई लेवल मीटिंग के बाद दायर आवेदन के लिए न्यायमूर्ति एमआर शाह और सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष जनहित याचिका पर पेश हुए थे। इसमें भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी), गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय सहित अन्य शामिल थे।
सरकार ने की थी सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट से फंड लेने की मांग
तब सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट (SEBI-Sahara Refund Account) नामक एक फंड से 5,000 करोड़ रुपये की राशि लेने की मांग की गई थी, जो अगस्त 2012 में शीर्ष अदालत द्वारा दो सहारा फर्मों – सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इंडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) को निर्देशित करने के बाद बनाई गई थी।
वापस की जा चुकी है ₹138 करोड़ की राशि
आदेश के बाद, सहारा ने 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया और ब्याज के साथ, राशि 24,000 करोड़ रुपये हो गई । सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएन अग्रवाल को रिफंड प्रक्रिया की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया। दिसंबर 2022 तक, 138 करोड़ रुपये की राशि वापस कर दी गई थी जबकि 23,937 करोड़ रुपये की राशि अप्रयुक्त पड़ी थी।
सेबी-सहारा विवाद में फंसा पैसा
सहारा सेबी विवाद के कारण खाते में जमा 24 हजार करोड़ रुपये का फंड फंसा हुआ है। दूसरीओर निवेशक परेशान है। निवेशकों की परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें 5 हजार रुपये तुरंत जारी करने की अपील की थी। कोर्ट ने इस याचिका को मंजूरी देते हुए 5 हजार करोड़ रुपये अलॉट करने का आदेश दिया है। इस फैसले से सहारा के 1.1 करोड़ निवेशकों को राहत मिलेगी। मंगलवार को बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह की रियल एस्टेट कंपनी से 6.57 करोड़ रुपए की वसूली कर ली। कंपनी के मुखिया सुब्रत रॉय सहारा पर सख्ती दिखाते हुए सेबी ने ये रकम वसूली है।
क्या है पूरा विवाद?
गौरतलब है कि सहारा का ये विवाद साल 2009 का है। सहारा की दो कंपनियां सहारा हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन से जुड़े विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब कंपनी ने अपना IPO लाने की पेशकश की। आईपीओ के आते ही सहारा की पोल खुलने लगी। सहारा ने गलत तरीके से निवेशकों से 24000 करोड़ की रकम जुटाई थी, जो सेबी के सामने आ गई। सेबी ने सहारा में कई अनियमितता पाई, जिसकी जांच जब हुई तो बड़ा स्कैम सामने आया। सेबी ने सहारा को निवेशकों को उनका पैसा ब्याज समेत लौटाने का आदेश दिया। बाद में मामला उलझता चला गया और आज भी सहारा के लाखों निवेशक अपने फंड का इंतजार कर रहे हैं।