महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari) के विवादित बयान पर प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) और उनकी सरकार ने किनारा कर लिया है। विपक्ष ने राज्यपाल के बयान को ‘मराठी अस्मिता’ पर चोट करार दिया था। वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) का कहना है कि ये राज्यपाल के निजी विचार हैं, और हम (सरकार) उनका समर्थन नहीं करती है।
मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari) के विवादित बयान पर प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) और उनकी सरकार ने किनारा कर लिया है। विपक्ष ने राज्यपाल के बयान को ‘मराठी अस्मिता’ पर चोट करार दिया था। वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) का कहना है कि ये राज्यपाल के निजी विचार हैं, और हम (सरकार) उनका समर्थन नहीं करती है।
एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने कहा कि राज्यपाल के विचार निजी हैं। हम उसका समर्थन नहीं करते हैं । राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद (Constitutional Post)है । उन्हें संविधान के दायरे में रहकर बोलना चाहिए। हम मुंबई के लिए मुंबईकर और मराठी लोगों के योगदान को कभी नहीं भूल सकते। इससे पहले शिंदे गुट के विधायक दीपक केसरकर ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि राज्यपाल का जो भाषण होता है, ये उनके सचिव या उनकी जो टीम होती है। वो तैयार करती है। मुंबई को बसाने में मराठी आदमियों का बहुमूल्य योगदान तो है ही। इसके साथ ही गुजराती, राजस्थानी और पारसी लोगों के साथ-साथ सभी धर्मों के लोगों ने भी अपने-अपने स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
तो नहीं आहत होती भावनाए
उन्होंने कहा कि मराठी आदमी इंटेलेक्चुअल है, उसने हर क्षेत्र मेंअपनी पहचान बनाई है। वकील, डॉक्टर, जैसे कई फील्ड हैं, आईटी इंडस्ट्री में भी ढेरों मराठी लोग टॉप लेवल पर हैं। मुंबई के लोगों ने कभी भी बाहर से आये लोगों को पराया नहीं समझा है। राज्यपाल के भाषण को उनके कार्यालय में से किसी ने लिखा है, इसे लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। अगर इसी बात को दूसरे तरीके से लिखा गया होता, तो किसी की भी भावनाएं आहत नहीं होती।
राज्यपाल को आदेश नहीं देती सरकार
केसरकर ने कहा कि राज्यपाल के सभी भाषण उन्हें लिखकर दिए जाते हैं । इस मामले में किसी भी तरह से राज्य सरकार को राज्यपाल को कोई आदेश देने का अधिकार नहीं है । राज्यपाल, केंद्र सरकार के तहत काम करते हैं । हम इस मामले को लेकर हम केंद्र सरकार को पत्र लिखेंगे । मराठी अस्मिता की सुरक्षा होनी या रखनी चाहिए । महाराष्ट्र में किसी भी हाल में मराठी का अपमान न हो इस पर सभी को ध्यान देना चाहिए । बार-बार इस तरह की घटना होती है कि प्रिंटेड भाषण होने की वजह से राज्य के किसी भी मराठी आदमी या राज्य के महापुरुषों का अपमान नहीं होना चाहिए । ये बात और जानकारी जो भी राज्यपाल ने अपने भाषण में कही, वो पूरी तरह से गलत है।