बचपन में एक सुगंध का पीछा करते हुए जहां पहुंच जाता था, वहां पीपल के पेड़ पर परिवार की कुछ महिलाएं अगियार करती रहती थी।
Gud Aur Ghee Ki Dhoop : बचपन में एक सुगंध का पीछा करते हुए जहां पहुंच जाता था, वहां पीपल के पेड़ पर परिवार की कुछ महिलाएं अगियार करती रहती थीं। वो सुगंध जो कुछ दूर से खींच कर मुझे अपने पास बुला लेती थी ,उस समय उसके बारे में नहीं जानता था। सिर्फ अगियार होते हुए देखता था। भगवान को जल, फूल और अगियार चढ़ाने के बाद जब घर की दादी ,चाची वहां से वापस चलतीं थीं तो वो मेरे हाथ में कभी गुड़ तो कभी पेड़ा और कभी चीनी प्रसाद के रूप देती थीं। वो दौर बीत गया। अचानक एक दिन उस सुगंध के बारे याद आने लगा। वैसी सुगंध पिछले कई दशकों से दोबारा सूंघने को नहीं मिली। उस सुगंध के बारे सर्च करने पर पता चला कि ये गुड़ और घी की धूप है। इसे अग्निहोत्र सुगंध भी कह सकते हैं। आइये जानते इस सुगंध और इसके चमत्कार के बारे में।
गुड़ और घी की धूप में अग्निहोत्र सुगंध होती है
अग्निहोत्र भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। अग्निहोत्र यानि अग्नि में विविध औषधियों के द्वारा देवताओं को आहुति प्रदान की जाती है। आयुर्वेद में बताई गई सुगंधित एवं विभिन्न औषधीय गुणों से युक्त औषधियां इस धूप में मिश्रित है । यह सात्त्विक द्रव्यों से वातावरण शुद्ध और पवित्र बनता है।
देव दोष व पितृ दोष का शमन होता है
इससे जो सुगंधित वातावरण निर्मित होगा, वह आपके मन और मस्तिष्क के तनाव को शांत कर देगा। जहां शांति होती है, वहां गृहकलह नहीं होता और जहां गृह कलह नहीं होता वहीं लक्ष्मी वास करती हैं। गुड़-घी की धूप विशेष दिनों में देने से देव दोष व पितृ दोष का शमन होता है।