HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. UP News : इस्कॉन अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए वृंदावन लाया गया

UP News : इस्कॉन अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए वृंदावन लाया गया

इस्कॉन के सबसे वरिष्ठ संन्यासियों में से एक और इस्कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल (IGC) के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज (President Gopal Krishna Goswami Maharaj ) का रविवार सुबह देहरादून में निधन हो गया है। यह खबर सुनकर भक्तों व संस्था के वृंदावन सहित विश्व के मंदिरों में शोक की लहर दौड़ गई।

By संतोष सिंह 
Updated Date

मथुरा। इस्कॉन के सबसे वरिष्ठ संन्यासियों में से एक और इस्कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल (IGC) के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज (President Gopal Krishna Goswami Maharaj ) का रविवार सुबह देहरादून में निधन हो गया है। यह खबर सुनकर भक्तों व संस्था के वृंदावन सहित विश्व के मंदिरों में शोक की लहर दौड़ गई। सोमवार को गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज (Gopal Krishna Goswami Maharaj)  का पार्थिव शरीर वृंदावन लाया गया। यहां इस्कॉन मंदिर(ISKCON Temple)  में प्रभुपाद की समाधि के पास ही अंतिम दर्शन के लिए सुबह 8.30 बजे से रखा गया। इसके बाद मंदिर की गोशाला के पास समाधि दी जाएगी।

पढ़ें :- जिस सोसाइटी में सर्वाधिक मतदान, उनके आरडब्ल्यूए को किया जाएगा सम्मानित : मण्डलायुक्त डाॅ. रोशन जैकब

इस्कॉन मंदिर (ISKCON Temple) , वृंदावन के पदाधिकारी बृजधाम दास (Vrindavan official Brijdham Das) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, विश्व भर में उनके लाखों भक्त हैं। वे भक्त अंतिम दर्शन के लिए वृंदावन के इस्कॉन मंदिर (ISKCON Temple)  में आए हुए हैं। भक्तों में उनके निधन से शोक की लहर है। बता दें कि गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज (Gopal Krishna Goswami Maharaj) दो मई को दूधली स्थित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां वह अचानक फिसलकर गिर गए थे। इससे उनके फेफड़ों में पंक्चर हो गया था। तीन दिनों से उनका इलाज सिनर्जी अस्पताल में चल रहा था। रविवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

दिल्ली में हुआ था जन्म

सन् 1944 में नई दिल्ली में जन्मे गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज (Gopal Krishna Goswami Maharaj)  एक मेधावी छात्र थे। उन्हें सोरबोन विश्वविद्यालय (फ्रांस) और मैकगिल विश्वविद्यालय (कनाडा) में अध्ययन करने के लिए दो छात्रवृत्तियां प्रदान की गईं थीं। उन्होंने 1968 में कनाडा में अपने गुरु और इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद (Acharya Srila Prabhupada, founder of ISKCON) से मुलाकात की और तब से उन्होंने सभी की शांति और कल्याण के लिए भगवान कृष्ण और सनातन धर्म की शिक्षाओं को दुनिया के साथ साझा करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया।

 

पढ़ें :- दारुल उलूम देवबंद परिसर में महिलाओं और लड़कियों की 'No Entry', जानें क्या है वजह?

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...