ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली में दो या दो से ग्रह एक साथ हों तो वह ग्रहों की युति कहलाती है। कुंडली में बैठे ग्रह ही विशेष योगों का निर्माण करते है।
Guru-Mangal Ki Yuti: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली में दो या दो से ग्रह एक साथ हों तो वह ग्रहों की युति कहलाती है। कुंडली में बैठे ग्रह ही विशेष योगों का निर्माण करते है। इन्हीं योगों के माध्यम से सफलता की प्रबल संभावना बनती है।17 मई को मीन राशि में गुरु-मंगल की युति हो चुकी है। इन दोनों ग्रहों की युति शुभ योगों की श्रेणी में आती है। ज्योतिष अनुसार जब भी गुरु बृहस्पति की किसी ग्रह के साथ युति होती है तो इससे बनने वाले योग अधिकतर शुभ ही सिद्ध होते हैं। मंगल-गुरु की ये युति अगले महीने 27 जून तक बनी रहेगी। क्योंकि 27 जून को मंगल मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश कर जायेंगे।गुरु-मंगल की युति का योग बेहद शुभ माना जाता है। इस शुभ योग के दौरान समय-समय पर दान-पुण्य करने की सलाह दी जाती है।
गुरु-मंगल योग तब बनता है जब कुंडली में मंगल और बृहस्पति की युति हो रही होती है। इस योग के बनने से जातक को उच्च पद प्राप्त होता है और इस योग से धन लाभ भी होता है। गुरु मंगल योग वाला व्यक्ति हस्तकला में निपुण, वैदिक ज्योतिष, तर्कशील, बुद्धिमान, भाषण में निपुण, खेल और एथलेटिक गतिविधियों में अच्छा होता है। गुरु मंगल की युति जातक में नेतृत्व गुण और विशाल ज्ञान लाता है। ऐसे जातक अपने ज्ञान से लोगों को आकर्षित करते हैं और इनका क्रोध अक्सर लोगों को अचंभित कर देता है।