गुरू, गुरूकुल (Gurukul ) के देश भारत में गुरू के लिए जो दिन समर्पित है वह आषाढ़ मास( Ashadh month) की पूर्णिमा (poornimaa) तिथि है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कहते है।
Guru Purnima 2021: गुरू, गुरूकुल (Gurukul ) के देश भारत में गुरू के लिए जो दिन समर्पित है वह आषाढ़ मास( Ashadh month) की पूर्णिमा (poornimaa) तिथि है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कहते है। गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई दिन शनिवार को है। आज दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला रवि योग (Ravi Yoga) रहेगा। इसके आलावा दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र (Poorvashadha Nakshatra) रहेगा। आज की ही तिथि् पर महर्षि वेद व्यास (Maharishi Veda Vyasa)का जन्म हुआ था। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु जी का आदर सम्मान के साथ पूजन करना चाहिए। गुरु पूर्णिमा के इस पावन दिन पर गुरुजनों की यथा संभव सेवा करने का बहुत महत्व है।
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:।
गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।।
अर्थ – भाग्य रूठ जाये तो गुरू रक्षा करता है। गुरू रूठ जाये तो कोई नहीं होता। गुरू ही रक्षक है, गुरू ही शिक्षक है, इसमें कोई संदेह नहीं।
प्राचीन शास्त्रों (ancient scriptures) में गुरू की की महिमा का बखान करते हुए कहा गया है कि गुरू रूठ जाये तो किसी भी प्रकार से रक्षा नहीं हो सकती है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि याज्ञवल्य ऋषि (Yajnavalya Rishi) के वरदान से वृक्षराज बरगद को जीवनदान मिला था। इसलिए गुरु पूर्णिमा पर बरगद(Banyan) की भी पूजा की जाती है।
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:
अर्थ – गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।
गुरू को प्रसन्न रखने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए उनके बताए रास्तों का पालन करना चाहिए। इससे गुरू प्रसन्न् होते है और कल्याण के आर्शीवाद प्रदान करते हैं।