घरेलू बाजार में वाहनों की खुदरा बिक्री में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 30 प्रतिशत गिरावट आई है। यह गत अप्रैल में माह-दर-माह आधार पर 28 प्रतिशत की गिरावट है।ऑटोमोबाइल डीलर संगठनों के महासंघ (फाडा) के तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों में बताया गया है कि अप्रैल में देश में कुल 16,49,678 वाहनों का पंजीकरण हुआ जो मार्च 2021 के मुकाबले 28.15 फीसदी कम है। दुपहिया वाहनों का पंजीकरण 27.63 प्रतिशत घटकर 11,95,445 पर आ गया।
नई दिल्ली । घरेलू बाजार में वाहनों की खुदरा बिक्री में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 30 प्रतिशत गिरावट आई है। यह गत अप्रैल में माह-दर-माह आधार पर 28 प्रतिशत की गिरावट है।
ऑटोमोबाइल डीलर संगठनों के महासंघ (फाडा) के तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों में बताया गया है कि अप्रैल में देश में कुल 16,49,678 वाहनों का पंजीकरण हुआ जो मार्च 2021 के मुकाबले 28.15 फीसदी कम है। दुपहिया वाहनों का पंजीकरण 27.63 प्रतिशत घटकर 11,95,445 पर आ गया।
तिपहिया वाहनों के पंजीकरण में 43 प्रतिशत की गिरावट रही और यह 38,034 इकाई रहा। यात्री वाहनों, टैक्टरों और वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री क्रमश: 25 प्रतिशत, 45 प्रतिशत और 24 प्रतिशत की गिरावट आई। अप्रैल में कुल 2,79,745 यात्री वाहन पंजीकृत हुये।
पिछले साल अप्रैल में राष्ट्र व्यापी लॉकडाउन के कारण डीलरों ने एक भी वाहन नहीं बेचा था। इसलिए इस साल अप्रैल के आंकड़ों की तुलना इसी साल मार्च के आंकड़ों से की गई है। फाडा ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश में कुल 1,52,71,519 वाहन पंजीकृत हुये जो वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 29.85 प्रतिशत कम है। यह पंजीकृत होने वाले वाहनों की आठ साल में न्यूनतम संख्या है।
इस दौरान ट्रैक्टरों को छोड़कर अन्य सभी वर्गों के वाहनों की बिक्री में कमी आई। ट्रैक्टरों का पंजीकरण 16 प्रतिशत बढ़ा जबकि दुपहिया वाहनों में 32 प्रतिशत, तिपहिया वाहनों में 64 प्रतिशत, वाणिज्यिक वाहनों में 49 प्रतिशत और यात्री वाहनों में 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
फाडा ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने न सिर्फ शहरी क्षेत्र में कहर ढाहा है बल्कि ग्रामीण भारत को भी अव्यवस्थित कर दिया है। देश के 95 प्रतिशत हिस्से में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन है और मई के पहले नौ दिन में ग्राहक-धारणा काफी कमजोर दिखी है।
फाडा के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के कारण देश कठिनतम समय का सामना कर रहा है। हर व्यक्ति की जिंदगी पर असर पड़ा है। इस बार महामारी का सिर्फ शहरी क्षेत्र के बाजारों तक सीमित नहीं है। इसने ग्रामीण भारत को भी अपनी चपेट में ले लिया है।
महासंघ ने वाहन बनाने वाली कंपनियों से डीलरों की मदद करने की गुहार लगाई है। उसने सरकार से भी डीलरों के लिए वित्तीय पैकेज की मांग की है। कहा कि उन्हें ऋण अदायगी में राहत दी जानी चाहिये।