भगवान शिव के भोले स्वभाव के कारण भक्त गण उन्हें नाना प्रकार से मनाने का प्रयास करते हैं। भक्त गण अपनी हर छोटी बड़ी मनोकामनाएं पूर्ण करने हेतु भगवान शिव जी पूजा करते है। सोमवार के दिन को भगवान भोलेनाथ का दिन माना जाता है। शिव भक्त सोमवार के दिन शिव भक्ति में विविध प्रकार के आयोजन भी करते है। सोमवती अमावस्या भी एक ऐसा दिन है जिसे भक्त गण अपनी वंक्षित मनोकामना के पूर्ण होने का दिन मानते है।
नई दिल्ली : भगवान शिव के भोले स्वभाव के कारण भक्त गण उन्हें नाना प्रकार से मनाने का प्रयास करते हैं। भक्त गण अपनी हर छोटी बड़ी मनोकामनाएं पूर्ण करने हेतु भगवान शिव जी पूजा करते है। सोमवार के दिन को भगवान भोलेनाथ का दिन माना जाता है। शिव भक्त सोमवार के दिन शिव भक्ति में विविध प्रकार के आयोजन भी करते है। सोमवती अमावस्या भी एक ऐसा दिन है जिसे भक्त गण अपनी वंक्षित मनोकामना के पूर्ण होने का दिन मानते है। सोम यानी चंद्रमा। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का सोमांश यानि अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर चंद्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पड़ता है।
अमावस्या, अमा और वस्या दो शब्दों से मिलकर बना है। शिव महापुराण में इस संधि विच्छेद को भगवान शिव ने माता पार्वती को समझाया था। क्योंकि सोम को अमृत भी कहा जाता है, अमा का अर्थ है एकत्र करना और वस्या वास को कहा गया है। यानि जिसमें सब एक साथ वास करते हों वह अमावस्या अति पवित्र सोमवती अमावस्या कहलाती है। यह भी माना जाता है की सोमवती अमावस्या में भक्तों को अमृत की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा दोनों तिथियों का विशेष महत्व है। हर महीने की कृष्ण पक्ष तिथि को अमावस्या आती है। इस बार अमावस्या सोमवार को पड़ रहा है। इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जा रहा है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ होती है। वहीं कुछ लोग सोमवार के दिन व्रत रखते हैं। इस बार अमावस्या सोमवार को है जिसकी वजह से इसका महत्व और बढ़ गया है।
अमावस्या के दिन सुबह- सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान कर दान पुण्य करना चाहिए। इस दिन दान पुण्य करने से घर में सुख- समृद्धि आती है।
शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि का प्रारंभ- 11 अप्रैल 2021 रविवार को सुबह 06 बजकर 3 मिनट से 12 अप्रैल 2021, सोमवार सुबह 8 बजे तक है।
महत्व
सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इसके अलावा पितरों का तर्पण भी किया जाता है। इससे आपको पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। मान्यता है कि अगर किसी की कुंडली में पितृदोष है तो इस दिन पूजा करना सबसे शुभ माना गया है। सोमवती अमावस्या के दिन विधि-विधान से पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा सोमवार का दिन होने के कारण महादेव की पूजा जरूरी करनी चाहिए।
उपाय
1. सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर आप पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. ऐसा करने से आप बीमारियों से बचे रहते हैं।
2. मान्यता है कि पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
3. इस खास दिन पर शिव-पार्वती के साथ-साथ तुलसी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी के पेड़ के चारों तरफ 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में पैसों की परेशानी नहीं होती है।