HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. इंदिरा एकादशी 2021: पितरों की आत्मा को मिलती है शांति, पितृपक्ष में इस से व्रत होती है मोक्ष की प्राप्ति

इंदिरा एकादशी 2021: पितरों की आत्मा को मिलती है शांति, पितृपक्ष में इस से व्रत होती है मोक्ष की प्राप्ति

र्वजों के प्रति आस्था रखने और उनकें आत्मा की शान्ति के लिए हिंदू धर्म ग्रन्थों में अनेक प्रकार के विधान बताए गए हैं। पितृपक्ष के समय पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए उनकी पूजा , पिण्डदान,और अनेक प्रकार के दान से देवताओं को प्रसन्न् किया जाता है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

इंदिरा एकादशी 2021: पूर्वजों के प्रति आस्था रखने और उनकें आत्मा की शान्ति के लिए हिंदू धर्म ग्रन्थों में अनेक प्रकार के विधान बताए गए हैं। पितृपक्ष के समय पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए उनकी पूजा , पिण्डदान,और अनेक प्रकार के दान से देवताओं को प्रसन्न् किया जाता है। इन्हीं सब प्रयासों में एक व्रत है एकादशी।

पढ़ें :- Margashirsha Amavasya 2024 : मार्गशीर्ष अमावस्या पर करें ये काम, मिलेगा मां लक्ष्मी  का आशीर्वाद

हिंदू धर्म में सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ बताया गया है।हर मास में दो एकादशी आती हैं, एक शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि और एक कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी व्रत भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) जी को समर्पित होता है। लेकिन हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है।अश्विन मास (Ashwin Month) के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) कहते हैं।

धार्मिक मान्यता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का पितृपक्ष में होने के कारण महत्व और अधिक बढ़ जाता है। राजा इंद्रसेन ने भी अपने पिता को मोक्ष दिलाने के लिए पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी का व्रत रखा था और तभी से राजा के नाम पर ही इस एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी पड़ गया।

हिंदू पंचांग के अनुसार, 02 अक्टूबर 2021, शनिवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है।इस एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। वर्तमान समय में पितृ पक्ष चल चल रहा हैं। पितृ पक्ष होने के कारण इस तिथि का महत्व बढ़ जाता है।

इंदिरा एकादशी की कथा पढ़ना और सुनना चाहिए। इसके अलावा विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु सतनाम स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। पाठ के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती उतारें और प्रसाद का भोग लगाकर परिवार के सदस्यों में बांटे।

पढ़ें :- 25 नवम्बर 2024 का राशिफल: इन राशि के लोगों को आज कारोबार में किसी रुके धन की हो सकती है प्राप्ति

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...