मरेठ। योगी सरकार की लाख नसीहत के बाद भी भ्रष्टाचार की चाशनी में डूबे जल निगम के कुछ अफसरों को ईमानदारी रास नहीं आ रही है। वह भ्रष्ट कर्मचारी और अफसरों को ही तवज्जों देना चाहते हैं। ऐसा नहीं कि विभाग में ईमानदार कर्मचारियों की कमी है लेकिन भ्रष्टाचार की चाशनी का चस्का अफसरों को कुछ ज्यादा ही लग गया है। लिहाजा वह, दिवालिया कंपनियों पर सरकारी खजाने के कराड़ों रुपये लुटाने के लिए तैयार बैठे हैं। ऐसे ही अफसर योगी सरकार की साख पर बट्टा लगा रहे हैं।
दरअसल, पूरा मामला मेरठ में बन रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ा है, जहां जल निगम और नगर निगम के अधिकारियों ने दिवालिया कंपनी पर अपनी मेहरबानी जारी रखी। लिहाजा, सरकारी खाजने से करोड़ों रुपये दिवालिया कंपनी पर लूटा दिए गए। जब जल निगम के अधिशासी अभियंता अमित कुमार ने इसका विरोध किया तो उनको इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
भ्रष्ट अफसरों की ताकत के आगे उनकी एक भी न चली और उनका देखते ही देखते तबादला कर दिया गया। इसकी जानकारी जब जनप्रतिनिधियों को हुई तो उन्होंने अभियंता के समर्थन में विभाग को कई पत्र लिखकर उनका स्थानांतरण निरस्त करने की पैरवी की। लेकिन खुद को मंत्री और विधायकों से ऊपर समझने वाले विभाग के मठाधीशों ने जनप्रतिनिधियों को छोड़ा भी तवज्जो नहीं दिया।
दिवालिया कंपनी पर लुटाया सरकारी खजाना
जल निगम और नगर निगम अधिकारियों की कमाई का जरिया बने 100 एमएलडी बाटर ट्रीटमेंट प्लांट में घोटाला उजागर हुआ। दरअसल, करीब दो साल पहले दिवालिया हो चुकी फर्म प्रतिभा इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जालसाजी कर टीएल इंफ्रा के नाम से काम शुरू कर दिया। अफसरों की मेहरबानी से दिवालिया कंपनी को विभाग लाखों करोड़ों रुपये देता रहा। जल निगम के अधिशासी अभियन्ता अमित कुमार को जब इसका पता लगा तो उन्होंने विरोध किया। अधिशासी अभियंता की ये बात भ्रष्ट अफसरों को रास नहीं आई, जिसके कारण अधिकारियों की सांठगांठ से उनका तबादला करा दिया गया। बता दें कि, 400 करोड़ की मेरठ पेयजल योजना का बंदरबांट में बुरा हाल है। भोला झाल पर 100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से चले बैर ही जर्जर अवस्था में पहुंच गया है।
अनुबंध में टीएल इंफ्रा का कहीं भी जिक्र नहीं
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को मुंबई खंडपीठ ने प्रतिभा इंडस्ट्रीज को फरवरी, 2019 में दिवालिया घोषित कर दिया था। फर्म प्रबंधन और जल निगम ने इसकी जानकारी नगर निगम को नहीं दी और फर्म ने जालसाजी कर पुरानी तिथि अप्रैल, 2018 में टीएल इंफ्रा फर्म का गठन दिखाकर प्लांट संचालन और रखरखाव का कार्य इसे हस्तांतरित कर दिया। नगर निगम व प्रतिभा इंडस्ट्रीज के बीच हुए अनुबंध में टीएल इंफ्रा का जिक्र नहीं है। पत्र के अनुसार पिछले 30 माह से टीएल इंफ्रा के खाते में पैसा जा रहा है और कागजों में प्रतिभा इंडस्ट्रीज दिखाई जा रही है।
फर्जी फर्म ने बटोरे आठ करोड़ से ज्यादा
जल निगम से साठगांठ कर फर्म नगर निगम से आठ करोड़ रुपये का भुगतान से चुकी है। इतनी बड़ी वित्तीय अनियमितता के बावजूद अधिकारी सोते रहे। यही नहीं, महापौर और नगर आयुक्त को प्लांट की हर निरीक्षण रिपोर्ट में भारी अनियमितताएं मिली लेकिन कोई कार्रवाई न होना भी सवालों के घेरे में है।