Jamiat on Ramlala Pran Pratishtha: महमूद मदनी गुट वाले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulema-e-Hind) के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास कर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर चिंता जताई गयी है। जमीयत ने अयोध्या में होने वाले भव्य कार्यक्रम के साथ-साथ दूसरे इबादतगाहों पर खड़े हो रहे विवाद को लेकर भी प्रस्ताव पास किया है। जिसमें अयोध्या में होने वाले भव्य समारोह में सरकार की सक्रिय भागीदारी को एक अनुचित प्रक्रिया बताया है।
Jamiat on Ramlala Pran Pratishtha: महमूद मदनी गुट वाले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulema-e-Hind) के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास कर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर चिंता जताई गयी है। जमीयत ने अयोध्या में होने वाले भव्य कार्यक्रम के साथ-साथ दूसरे इबादतगाहों पर खड़े हो रहे विवाद को लेकर भी प्रस्ताव पास किया है। जिसमें अयोध्या में होने वाले भव्य समारोह में सरकार की सक्रिय भागीदारी को एक अनुचित प्रक्रिया बताया है।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulema-e-Hind) ने कहा कि सरकार और उसकी संस्थाओं को पक्षपातपूर्ण नीति से बचना चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया है कि बाबरी मस्जिद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय के मानकों पर खरा नहीं उतरता। यह निर्णय न्याय की भावना के विपरीत, आस्था और तकनीकी पहलुओं पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं माना है कि इस बात का कोई सबूत मौजूद नहीं है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था।’
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि ‘सभा को इस बात पर भी चिंता है कि अपने फैसलों में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को कठोरता से लागू करने संबंधित आश्वासन के बावजूद, अदालतें अन्य मस्जिदों पर हिंदू पक्ष के दावों की भी सुनवाई कर रही हैं। यह रवैया न्याय व्यवस्था में देश के न्यायप्रिय लोगों का विश्वास कम करने का कारण है। हम मुसलमानों और देश की जनता से यह अपील करते हैं कि वे इन परिस्थितियों में शांति व्यवस्था बनाए रखने में संभव प्रयास करें।’