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जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक : अमित शाह ,बोले -नेहरू ने नहीं की होती ये दो गलतियां तो पीओके होता हमारा

लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री  अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru) के कार्यकाल के दौरान हुए दो गलतियों का खामियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भुगतना पड़ा।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री  अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru) के कार्यकाल के दौरान हुए दो गलतियों का खामियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भुगतना पड़ा।  जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 (Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill 2023) और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 (Jammu and Kashmir Reorganization (Amendment) Bill, 2023)  पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए उनका कहना था कि नेहरू की ये दो गलतियां 1947 में आजादी के कुछ समय बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम करना और जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की थी। गृह मंत्री ने कहा कि अगर संघर्ष विराम नहीं हुआ होता तो पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK ) अस्तित्व में नहीं आता।

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गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने लोकसभा में कहा कि PoK हमारा है। उन्होंने ये भी कहा कि हर प्रताड़ित कश्मीरी याद रखेगा कि पीएम मोदी ने उनके लिए क्या किया है? उन्होंने कहा कि पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, अब 43 हैं। कश्मीर में पहले 46 थीं, अब 47 हैं और पीओके में 24 सीटें आरक्षित की गई हैं क्योंकि पीओके हमारा है।

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 (Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill 2023) और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 (Jammu and Kashmir Reorganization (Amendment) Bill, 2023) पर बहस का जवाब देते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि विधेयक उन लोगों को न्याय देने का प्रयास करते हैं जिन्हें अपने ही देश में शरणार्थी बनने के लिए मजबूर किया गया था।

विधेयक का उद्देश्य लोगों को न्याय और अधिकार प्रदान करना

उन्होंने कहा कि जो विधेयक मैं यहां लाया हूं वह उन लोगों को न्याय दिलाने और उनके अधिकार प्रदान करने से संबंधित है जिनके खिलाफ अन्याय हुआ, जिनका अपमान किया गया और जिनकी उपेक्षा की गई। किसी भी समाज में, जो वंचित हैं उन्हें आगे लाना चाहिए। यही मूल बात है भारत के संविधान की। लेकिन उन्हें इस तरह से आगे लाना होगा जिससे उनका सम्मान कम न हो। अधिकार देना और सम्मानपूर्वक अधिकार देना दोनों में बहुत बड़ा अंतर है।

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पीएम मोदी जानते हैं गरीबों का दर्द

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah)  ने कहा कि कुछ लोगों ने इस विधेयक को कम आंकने की भी कोशिश की। किसी ने कहा कि सिर्फ नाम बदल रहा है। मैं उन सभी से कहना चाहूंगा कि अगर हमारे अंदर थोड़ी सी भी सहानुभूति है तो हमें देखना होगा कि नाम के साथ उनका सम्मान जुड़ा है। ये वही लोग देख सकते हैं जो इन्हें अपने भाई की तरह समझकर आगे लाना चाहते हैं, वे इसे नहीं समझ सकते जो इसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता हैं जिनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ और आज देश के प्रधानमंत्री बन गए। वह गरीबों का दर्द जानते हैं।

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