जन्म कुंडली में केतु को लेकर लेकर लोगों के मन कई तरह के प्रश्न आते है। कुछ ज्योतिष इसे मददगार मानते है, तो कुछ इसके नकारात्मक परिणामों की ओर इशारा करते है। यह एक छाया ग्रह है।
Janam kundli mein ketu: जन्म कुंडली में केतु को लेकर लेकर लोगों के मन कई तरह के प्रश्न आते है। कुछ ज्योतिष इसे मददगार मानते है, तो कुछ इसके नकारात्मक परिणामों की ओर इशारा करते है। यह एक छाया ग्रह है। कुछ लोगों के लिए ये ग्रह ख्याति पाने का अत्यंत सहायक रहता है। केतु को अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक माना गया है। धनु राशि में केतु का उच्च माना गया है। यह ग्रह तीन नक्षत्रों का स्वामी है, अश्विनी, मघा एवं मूल नक्षत्र। यही केतु जन्म कुंडली में राहु के साथ मिलकर कालसर्प योग की स्थिति बनाता है।
1.केतु के अनिष्ट प्रभावों को शांत करने के लिए पीपल के वृक्ष के नीचे प्रतिदिन कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। गणेश जी की रोजाना पूजा करें और सेवा करें। गणेश द्वादश नाम स्त्रोत का पाठ करने से केतु शांत होता है। कपिला गाय, लोहा, तिल, तेल, सप्तधान्य शस्त्र, नारियल, उड़द आदि का दान करने से केतु ग्रह की शांति होती है।
2.केतु दोष को दूर करने या केतु की शांति के लिए ‘ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: ‘ का जाप करना चाहिए।
3.केतु दोष के निवारण के लिए आप उसके रत्न लहसुनिया को धारण कर सकते हैं। यदि यह नहीं मिलता है तो केतु के उपरत्न फिरोजा संघीय या गोदंत को पहन सकते हैं।