एमएमएच कॉलेज से प्रोफेसर पीयूष चौहान को प्रधानाचार्य के पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद प्रोफेसर. पीयूष चौहान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और संयुक्त निदेशक कृते शिक्षा निदेशक प्रयागराज डॉ. शशि कपूर ने उनके हक में आदेश दिए।
गाजियाबाद । एमएमएच कॉलेज से प्रोफेसर पीयूष चौहान को प्रधानाचार्य के पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद प्रोफेसर. पीयूष चौहान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और संयुक्त निदेशक कृते शिक्षा निदेशक प्रयागराज डॉ. शशि कपूर ने उनके हक में आदेश दिए। इतना ही नहीं अगर एमएमएच कॉलेज आदेशों का पालन नहीं करता है तो क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी मेरठ के निर्देश पर आख्या / स्पष्टीकरण देना पड़ेगा। खास बात यह है कि प्रोफेर पीयूष चौहान का अभी तक का रुका हुआ वेतन भी एमएमएच कॉलेज को देना पड़ेगा। इसी कड़ी में प्रोफेसर पीयूष चौहान एमएमएच कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात थे, जिसके बाद एमएमएच कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें हटा दिया।
कॉलेज से प्रधानाचार्य के पद से हटाए जाने के बाद प्रोफेसर पियूष चौहान अदालत पहुंचे और उन्होंने अपना पक्ष न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया, जब न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई शुरू की तो पता चला की प्रबंधन समिति ने गंभीर अनियमितताओं के तहत प्रोफेसर पीयूष सिंह को निलंबित किया था। कोर्ट ने याचिका संख्या 16889/2024 और याचिका संख्या 16772/ 2024 के तहत प्रोफेसर पीयूष सिंह को 6 महीने निलंबित रहते हुए जांच में सहयोग करने के आदेश दिए थे।
इसके अलावा एमएमएच कॉलेज को भी जांच में सहयोग करने के लिए आदेशित किया गया था। जाँच अवधि पूर्ण होने के बाद प्रोफेसर पीयूष सिंह को पुनः प्रधानाचार्य के पद पर तैनात करने के आदेश संयुक्त निदेशक कृते शिक्षा निदेशक प्रयागराज डॉ. शशि कपूर ने दे दिए है। डॉ. शशि कपूर ने आदेश में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई भी विवादित स्थिति उत्पन्न होती है तो उसकी जिम्मेदारी एमएमएच कॉलेज की होगी।