हमेशा हमें अपना व्यवहार व भाषा हमेशा शालीन रखनी चाहिये। यह संदेश सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले ने आम जनता को दिया है। कोर्ट से अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पेशा चाहे कैसा भी हो, लेकिन दूसरों के प्रति अपना व्यवहार व भाषा हमेशा शालीन रखनी चाहिये। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक पत्रकार द्वारा वकील पर की गई टिप्पणी पर सजा सुनाकर दे दिया है।
नई दिल्ली । हमेशा हमें अपना व्यवहार व भाषा हमेशा शालीन रखनी चाहिये। यह संदेश सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले ने आम जनता को दिया है। कोर्ट से अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पेशा चाहे कैसा भी हो, लेकिन दूसरों के प्रति अपना व्यवहार व भाषा हमेशा शालीन रखनी चाहिये। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक पत्रकार द्वारा वकील पर की गई टिप्पणी पर सजा सुनाकर दे दिया है।
बता दें कि एक पत्रकार द्वारा वकील को तीसरे दर्जे का बताना उस पर भारी पड़ गया है। इस गलती के लिए उसे एक माह तक सलाखों के पीछे भेजे जाने का आदेश न्यायालय ने सुनाया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मानहानि का दोषी पाए गए पत्रकार की याचिका को खारिज कर दिया है। उसे एक महीने की कैद की सजा सुनाई है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्य कांत (Justice Surya Kant) ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है। कहा कि आपने किसी को ‘तीसरे दर्जे का वकील’ कहा है। कोर्ट ने कहा कि आप इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हो और दावा करते हो कि तुम पत्रकार हो।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CIJ) की अगुआई वाली बेंच में शामिल जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि अपने लेख की भाषा देखो। सजा को ‘उदार’ बताते हुए सीजेआई ने कहा कि यह पीत पत्रकारिता है। यह उदारता है कि केवल एक महीने की कैद दी गई है।