किसान आंदोलन (peasant movement) को तकरीबन 9 महीने से ज्यादा हो गायें हैं लेकिन अब तक सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं हुई लेकिन बीते रविवार को लखीमपुर मे हुए हिंसा ने इस आंदोलन को रौद्र रूप (Agitate the movement) लेने पर मजबूर कर दिया। किसानों के विरोध प्रदर्शन (Protest) में अब काफी तेज आ गई है। यहां तक खबरों की माने तो हालात इतने बिगड़ गए हैं, कि प्रदेश प्रशासन (state administration) को इलाके का इंटरनेट तक बंद करना पड़ा गया है और धारा 144 लागू (Section 144 enforced) करनी पड़ी।
लखीमपुर खीरी: किसान आंदोलन (peasant movement) को तकरीबन 9 महीने से ज्यादा हो गायें हैं लेकिन अब तक सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं हुई लेकिन बीते रविवार को लखीमपुर मे हुए हिंसा ने इस आंदोलन को रौद्र रूप (Agitate the movement) लेने पर मजबूर कर दिया। किसानों के विरोध प्रदर्शन (Protest) में अब काफी तेज आ गई है। यहां तक खबरों की माने तो हालात इतने बिगड़ गए हैं, कि प्रदेश प्रशासन (state administration) को इलाके का इंटरनेट तक बंद करना पड़ा गया है और धारा 144 लागू (Section 144 enforced) करनी पड़ी।
आपको बता दें, मारे हुए किसानो को लेकर कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि किसानों पर गोलियां चलाई गई हैं लेकिन अब इस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (Postmortem report) ने कई खुलासे कर दिये हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (postmortem report) में ये साफ हो गया है मृतकों के शरीर पर गोली का कोई निशान नहीं मिला। मारे गए 8 किसानों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट (postmortem report) अब सामने आ गई है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों की मौत शॉक लगने से तो किसी हेमरज (hemorrhage) , ज्यादा खूब बह जाने के कारण हुई है। इसके अलावा पोस्टमॉर्टम (Postmortem) में बड़ा खुलासा यह हुआ है रिपोर्ट में गोली लगने की बात नहीं कही गई है। हिंसा में मारे लोगों को पोस्टमॉर्टम (Postmortem) सोमवार को किया गया था।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) जिले में रविवार को किसानों के विरोध प्रदर्शन (Protest) के दौरान भड़की हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। ये है वो 8 लोग…
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) के बनबीरपुर दौरे के विरोध में किसान घटनास्थल पर इकट्ठा हुए थे।
बता दें कि सोमवार को प्रशासन और किसानों के बीच समझौता हो गया। दोनों पक्षों में तय हुआ कि हिंसा में मारे गए चारों किसानों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान की जाएगी। साथ ही हिंसा में जख्मी हुए लोगों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा इस पूरे मामले की जांच उच्च न्यायलय के रिटायर्ड जज करेंगे।