भगवान शिव का एक नाम महेश भी है।भगवान शिव को महेश इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे आदि, अनंत और अविनाशी हैं। भगवान शिव को महेश्वर भी है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान भोलेनाथ की पूजा महेश के नाम पर होती है।
Mahesh Navami 2022: भगवान शिव का एक नाम महेश भी है।भगवान शिव को महेश इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे आदि, अनंत और अविनाशी हैं। भगवान शिव को महेश्वर भी है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान भोलेनाथ की पूजा महेश के नाम पर होती है। नवमी तिथि को महेश नवमी का व्रत रखते हैं।यह पूजा भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित मानी गई है। इस बार महेश नवमी का व्रत और पूजन 9 जून किया जाएगा। पौराणिक मान्यता है कि महेश नवमी के दिन पर व्रत रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन से सारी मनोकामना पूरी होती है। भोलेनाथ बहुत दयालु हैं, वो भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं। भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर भक्तों को मनोकामना पूर्ति का वरदान देते हैं।
महेश नवमी 2022 व्रत शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 8 जून दिन बुधवार को सुबह 8 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी। नवमी तिथि 9 जून को सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। व्रत उदया तिथि में रखने की परंपरा है। इसके अनुसार महेश नवमी व्रत और पूजन 9 जून को है।
महेश नवमी पूजा विधि
भगवान शिव की पूजा में अभिषेक का बहुत फल है। दूध, गंगाजल, शहद, गन्ने के रस से, शक्कर या कुशोदक से अभिषेक करने पर महादेश बहुत प्रसन्न होते है। इस पूजन में भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं शमीं ,मंदार,भांग,धतूरा,आंकड़ें का पुष्प, दूध ,दही, घी, बेलपत्र चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही इस दिन भगवान शिव की प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। शिव चालीसा, शिव मंत्र और शिव आरती का पाठ करना चाहिए। विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं।