राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने सोमवार को सभापति एम. वेंकैया नायडू (Chairman M. Venkaiah Naidu) के विदाई भाषण में उनके साथ अपने रिश्तों को याद किया। उनके साथ मिलकर बनाए गए महत्वपूर्ण कानूनों की चर्चा की। फिर आखिरी में एक शायरी के साथ कहा, 'सदाओं को अल्फाज मिलने न पाएं न बादल घिरेंगे न बरसात होगी, मुसाफिर हैं हम भी मुसाफिर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी'।
नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने सोमवार को सभापति एम. वेंकैया नायडू (Chairman M. Venkaiah Naidu) के विदाई भाषण में उनके साथ अपने रिश्तों को याद किया। उनके साथ मिलकर बनाए गए महत्वपूर्ण कानूनों की चर्चा की। फिर आखिरी में एक शायरी के साथ कहा, ‘सदाओं को अल्फाज मिलने न पाएं न बादल घिरेंगे न बरसात होगी, मुसाफिर हैं हम भी मुसाफिर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी’।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने सभापति एम. वेंकैया नायडू (Chairman M. Venkaiah Naidu) को विदाई देते हुए कहा कि आपने सभी प्रमुख राज्यों में उच्च सदनों के लिए राष्ट्रीय नीति की वकालत की थी। आपने महिला आरक्षण विधेयक और अन्य मुद्दों पर आम सहमति की भी बात की। मुझे विश्वास है कि आप जो अधूरा छोड़ रहे हैं, उसे सरकार पूरा करेगी।