नई दिल्ली: आज के ही दिन नाथूराम गोडसे ने सन 1948 में एक सभा में महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी। महात्मा गांधी की हत्या ही नहीं दुनिया भर में जिसने भी प्रचलित धारा और अन्याय और समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिए आवाज़ उठाई है उन्हें साम दाम दंड भेद हर तरीके से दबाने की कोशिश की जाती है।
आपको बता दें, जब हर कोशिश नाकाम हो जाती है तो अंत में उनकी हत्या कर दी जाती है। आज हम आपको बताएँगे ऐसी ही राजनैतिक हत्याएं जिन्होंने दुनिया की तस्वीर बदल दी। राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी का नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
सत्य और अहिंसा का मार्ग दुनिया को गाँधी जी ने ही दिखाया था. शांतिप्रिय विद्रोह को महात्मा गांधी ने सत्याग्रह का नाम दिया। गांधी जी के दिखाये मार्ग पर चलकर ही खान अब्दुल गफ्फार खान, मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे लोगों ने अपने अपने देश में बुराइयों से लड़ाई की।
जैसा की हम जानते है जब कोई समाज को बदलने की कोशिश करता है तो उसके चाहने वालों के साथ साथ ही उसके दुश्मनों की संख्या भी बढ़ जाती है। ऐसा ही गाँधी जी के साथ हुआ।
आज़ादी के बाद भारत का विभाजन हुआ। बहुत से लोग इस विभाजन के लिए महात्मा गांधी को भी जिम्मेदार मानते थे। ऐसे ही लोगों में से एक था नाथूराम गोडसे. 30 जनवरी 1948 को एक पार्थना सभा के दौरान गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी। गांधी तो मर गए पर उनकी सोच और उनके विचार आज भी अमर है।
लिंकन शायद अभी तक हुए सभी अमेरिकी राष्ट्रपतियों में सबसे ज्यादा सम्मानित और प्रसिद्द है। रंगभेद से लेकर गृह युद्ध तक ऐसे बहुत से मामले थे जिन्हें लिंकन ने बखूबी सुलझाया था। लेकिन लिंकन द्वारा जनहित में लिए गए निर्णय और उनकी कार्यशैली से बहुत से लोग खफा भी थे।
समय समय पर लिंकन को उनकी मौत की साजिश के बारे में चेताया भी जाता था। लेकिन लिंकन ने कभी इन सब बातों पर अधिक ध्यान नहीं दिया। 18 अप्रैल 1965 के दिन लिंकन वाशिंगटन में एक नाटक देखने गए। अचानक ही एक आदमी दर्शक बॉक्स में आ गया और लिंकन के सर पर गोली मार दी। लिंकन की मृत्यु से अमेरिका के इतिहास की एक महत्वपूर्ण हस्ती का अंत हुआ था।
मार्टिन लूथर किंग अमेरिका के ही नहीं दुनिया के सबसे प्रभावशाली अश्वेत नेताओं में से थे। जिस समय अमेरिका में रंगभेद अपने चरम पर था उस समय मार्टिन एक आवाज़ बनकर उभरे। मार्टिन लूथर से पहले अश्वेतों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता था। उनके लिए आम वाहनों और सार्वजनिक स्थानों में आना मना था। उनके खाने, रहने, घुमने के स्थान अलग होते थे। हर जगह उनके साथ भेदभाव किया जाता था।
महात्मा गांधी और अब्राहम लिंकन से प्रेरित मार्टिन की लोकप्रियता और अश्वेतों के अधिकारों के लिए उनकी लड़ाई को मिलने वाला समर्थन बहुत से लोगों की आँखों में चुभ रहा था। 4 अप्रेल 1968 के दिन मेम्फिस के एक होटल की बालकनी में आये तो उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी। मार्टिन की लड़ाई व्यर्थ नहीं गयी अमेरिका में रंगभेद आज काफी हद तक कम हो गया है। लेकिन मार्टिन अपने इस सपने को साकार होते नहीं देख सके।
देखा आपने ये सब वो लोग थे जिन्हें आज ना केवल इन लोगों के देश अपितु पूरी दुनिया सम्मान की नज़रों से देखती है और इनके दिखाए मार्ग पर चलती है। लेकिन ऐसे भी लोग थे जिन्होंने नफरत के चलते इन महान हस्तियों की हत्या कर दी। ज़रा सोचिये अगर इन सब की असमय मृत्यु नहीं होती तो आज ये दुनिया कितनी अलग होती।