पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने बुधवार को एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने ट्विटर पर ऐसी डीपी लगाई है जिसको लेकर विवाद बढ़ना तय है। महबूबा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक डिस्प्ले पिक्चर (DP) लगाई है।
नई दिल्ली। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने बुधवार को एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने ट्विटर पर ऐसी डीपी लगाई है जिसको लेकर विवाद बढ़ना तय है। महबूबा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक डिस्प्ले पिक्चर (DP) लगाई है। इस तस्वीर में उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद (Mufti Mohammad Sayeed ) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) साथ बैठे दिख रहे हैं । उनके सामने राष्ट्र ध्वज तथा अब अमान्य हो चुका जम्मू-कश्मीर का झंडा दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ जन आंदोलन का रूप ले चुका है। उन्होंने लोगों से दो से 15 अगस्त तक अपने सोशल मीडिया अकाउंट की डीपी पर तिरंगा लगाने का अनुरोध किया था।
Changed my dp since a flag is a matter of joy & pride.For us our state flag was irreversibly linked to the Indian flag. It was snatched thus breaking away the link. You may have robbed us of our flag but cant erase it from our collective conscience. pic.twitter.com/HZxQROn3fK
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 3, 2022
महबूबा ने नई डीपी लगाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर से उसका झंडा भले ही श्श्छीनश्श् लिया गया हो, लेकिन इसे लोगों की सामूहिक चेतना से नहीं मिटाया जा सकता। महबूबा के ट्विटर अकाउंट पर लगी तस्वीर नवंबर 2015 में हुई एक रैली की है, जिसे प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान संबोधित किया था। उस समय मुफ्ती मोहम्मद सईद तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे।
महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि मैंने अपनी डीपी बदल डाली, क्योंकि झंडा खुशी और गर्व का प्रतीक है। हमारे राज्य के ध्वज को भारतीय ध्वज से जोड़ा गया था, जिसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। इस जुड़ाव को खत्म करके इसे छीन लिया गया। आपने भले ही हमसे हमारा झंडा छीन लिया हो, लेकिन इसे हमारी सामूहिक चेतना से नहीं मिटाया जा सकता।
गौरतलब है कि पांच अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस ले लिया गया था, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर का झंडा अमान्य हो गया था।