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मोदी सरकार गरीबों की जीवन-रेखा मनरेगा को तड़पा-तड़पा कर ख़त्म करने की कवायद में है जुटी: मल्लिकार्जुन खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, मोदी सरकार गरीबों की जीवन-रेखा मनरेगा को तड़पा-तड़पा कर ख़त्म करने की कवायद में जुटी है। मोदी सरकार ने अब वर्ष के पहले 6 महीनों के लिए मनरेगा खर्च की सीमा 60% तय कर दी है। मनरेगा जो संविधान के तहत RIGHT TO WORK का क़ानूनी अधिकार सुनिश्चित करती है, उसमें कटौती करना संविधान के ख़िलाफ़ अपराध है।

By शिव मौर्या 
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार मनरेगा योजना को खत्म करने की कवायद में जुटी है। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि, क्या ऐसा मोदी सरकार केवल इसलिए कर रही है क्योंकि वो गरीबों की जेब से क़रीब ₹25,000 करोड़ छीनना चाहती है, जो कि हर साल, साल के अंत तक, demand ज़्यादा होने पर उसे अगले वित्तीय वर्ष में अलग से ख़र्च करने पड़ते हैं?

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मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, मोदी सरकार गरीबों की जीवन-रेखा मनरेगा को तड़पा-तड़पा कर ख़त्म करने की कवायद में जुटी है। मोदी सरकार ने अब वर्ष के पहले 6 महीनों के लिए मनरेगा खर्च की सीमा 60% तय कर दी है। मनरेगा जो संविधान के तहत RIGHT TO WORK का क़ानूनी अधिकार सुनिश्चित करती है, उसमें कटौती करना संविधान के ख़िलाफ़ अपराध है।

इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार से पांच सवाल पूछे हैं। उन्होंने पूछा कि, क्या ऐसा मोदी सरकार केवल इसलिए कर रही है क्योंकि वो गरीबों की जेब से क़रीब ₹25,000 करोड़ छीनना चाहती है, जो कि हर साल, साल के अंत तक, demand ज़्यादा होने पर उसे अगले वित्तीय वर्ष में अलग से ख़र्च करने पड़ते हैं?

उन्होंने आगे पूछा कि, चूंकि मनरेगा एक demand-driven योजना है, इसलिए यदि आपदाओं या प्रतिकूल मौसम की स्थिति में पहली छमाही के दौरान मांग में demand की वृद्धि होती है, तो क्या होगा? क्या ऐसी सीमा लागू करने से उन गरीबों को नुकसान नहीं होगा जो अपनी आजीविका के लिए मनरेगा पर निर्भर हैं? कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे सवाल करते हुए पूछा कि, सीमा पार हो जाने पर क्या होगा? क्या राज्य demand के बावजूद रोज़गार देने से इनकार करने के लिए मजबूर होंगे, या श्रमिकों को समय पर भुगतान के बिना काम करना होगा?

कांग्रेस अध्यक्ष ने अगला सवाल पूछते हुए कहा कि, क्या ये सच नहीं कि एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, केवल 7% परिवारों को वादा किए गए 100 दिन का काम मिल पाया है? (लिब टेक, 21 मई तक) क़रीब 7 करोड़ पंजीकृत वर्करों को मनरेगा से AADHAAR Based Payment की शर्त लगा बाहर क्यों किया गया? साथ ही पूछा कि, 10 सालों में मनरेगा बजट का पूरे बजट के हिस्से में सब से कम आवंटन क्यों किया गया? ग़रीब विरोधी मोदी सरकार, मनरेगा मज़दूरों पर जुल्म ढाने पर क्यों उतारू है?

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साथ ही कहा, मनरेगा पर ख़र्च रोकने की कुल्हाड़ी, हर ग़रीब के जीवन पर मोदी सरकार द्वारा किया गया गहरा आघात है! कांग्रेस पार्टी इसका घोर विरोध करेगी। हम अपनी दो मांगों पर क़ायम हैं—पहली, मनरेगा श्रमिकों के लिए रोज़ाना ₹400 की न्यूनतम मजदूरी तय की जाए। दूसरी, साल में कम से कम 150 दिन का काम मिले।

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