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उज्जैन में नगर पूजा, देवी को लगाया गया मदिरा का भोग

चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी के अवसर पर आज शनिवार को शहर में नगर पूजा संपन्न हुई। इस अवसर पर जहां देवी महामाया और महालया को मदिरा का भोग लगाया गया तो वहीं सुख शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना भी की गई।

By Shital Kumar 
Updated Date

उज्जैन। चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी के अवसर पर आज शनिवार को शहर में नगर पूजा संपन्न हुई। इस अवसर पर जहां देवी महामाया और महालया को मदिरा का भोग लगाया गया तो वहीं सुख शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना भी की गई।

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उज्जैन में प्राचीन काल से नगर पूजन की परंपरा का निर्वहन हर नवरात्रि की अष्टमी पर किया जाता है। इस दिन 24 खंबा माता पर मौजूद देवी महामाया और महलया को मदिरा का भोग लगाया जाता है। यहां से मदिरा की धार शहर के सभी देवी मंदिरों से होती हुई गुजरती है। यह पूजन नगर की सुख समृद्धि की कामना को लेकर आयोजित की जाती है। महाअष्टमी के मौके पर एक बार फिर नगर वासियों की सुख समृद्धि की आशा के साथ पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने नगर पूजन की शुरुआत की। मंदिर पर माता को मदिरा का भोग लगाने के बाद लगभग 27 किलोमीटर लंबी यात्रा निकलती है। जिसपर मदिरा की धार चलती रहती है। बता दें कि 1 अप्रैल से उज्जैन सहित प्रदेश के 19 शहरों में शराबबंदी की घोषणा कर दी गई है। यह पारंपरिक और सरकारी पूजन है इसके चलते आबकारी विभाग के अधिकारी एक पेटी देसी शराब और दो बोतल अंग्रेजी शराब लेकर माता मंदिर पहुंचे। इस बार माता को बोतल से भोग लगाने की जगह चांदी के पात्र में मदिरा अर्पित की गई। इस पूजन के दौरान निरंजनी अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज, अन्य संत और अधिकारी मौजूद रहे।

नगर पूजन की शुरुआत का इतिहास हजारों साल पुराना

उज्जैन में नगर पूजन की शुरुआत का इतिहास हजारों साल पुराना है। उज्जैनी के सम्राट विक्रमादित्य अपने शासनकाल में 24 खंबा माता मंदिर पर नगर पूजन किया करते थे। वह देवी महामाया और महालया के साथ भैरव पूजन संपन्न करते थे। सब कुछ नगर और यहां रहने वाले लोगों की सुख, समृद्धि और खुशहाली के लिए किया जाता था। किसी तरह की बीमारी और प्राकृतिक प्रकोप न हो और सब कुछ कुशल मंगल रहे इसी कामना के साथ ही परंपरा हर साल निभाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इससे माता और भैरव जी प्रसन्न होकर नगर की रक्षा करते हैं।

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