HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. National Education Policy 2020 : यूजीसी की गाइडलाइन तैयार,अब बुनकर,कारीगर,गायक व नर्तक बनेंगे प्रोफेसर

National Education Policy 2020 : यूजीसी की गाइडलाइन तैयार,अब बुनकर,कारीगर,गायक व नर्तक बनेंगे प्रोफेसर

केंद्र की मोदी सरकार के तरफ से तैयार की गई नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कलाकारों और कारीगरों को कॉलेज में सिखाने का मौका दिया जाएगा। मिट्टी के बर्तन, बांस की कला, बेंत का काम, लकड़ी का काम, चरखा बुनाई, कपड़े पर प्रिंटिंग, आर्गेनिक कपड़ों को रंगना, हाथ की कढ़ाई, कारपेट बनाने वालों से लेकर सिंगर, डांसर भी कॉलेजों में 'प्रोफेसर' बन सकेंगे।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के तरफ से तैयार की गई नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कलाकारों और कारीगरों को कॉलेज में सिखाने का मौका दिया जाएगा। मिट्टी के बर्तन, बांस की कला, बेंत का काम, लकड़ी का काम, चरखा बुनाई, कपड़े पर प्रिंटिंग, आर्गेनिक कपड़ों को रंगना, हाथ की कढ़ाई, कारपेट बनाने वालों से लेकर सिंगर, डांसर भी कॉलेजों में ‘प्रोफेसर’ बन सकेंगे।

पढ़ें :- हेमंत सोरेन गिरफ्तारी के बाद पहली बार जेल से निकले बाहर, दिखा गुरुजी लुक

अब  कलाकार और कारीगरों को उच्च शिक्षण संस्थानों में इन-रेजिडेंस के तहत प्रोफेसर बनने का मौका मिल रहा है। इसमें न उम्र की कोई सीमा का बंधन होगा और न डिग्री की जरूरत। यह प्रोफेसर छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ शोध और कौशल विकास में भी निपुण करेंगे।

इसकी जानकारी यूजीसी ने ऑफिशियल नोटिस जारी दी है। एनईपी-2020, हायर एजुकेशन और आर्ट्स (कला) के बीच की खाई को पाटने पर जोर देती है, इसके लिए यूजीसी ने स्थानीय कलाकारों/कारीगरों को कॉलेजों में बतौर रेजिडेंस आर्टिस्ट रखने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा तैयार ड्राफ्ट के अनुसार, हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में कलाकारों और कारीगरों को प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया जाएगा। वे कॉलेजों में क्लासेस लेंगे लेकिन रेगुलर नहीं होंगे। वे लेक्चर्स लेंगे, वर्कशॉप, प्रैक्टिकल्स और ट्रेनिंग कराएंगे। कॉलेज चयन समिति अलग-अलग एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करने और सेलेक्ट होने पर तीन साल के लिए इनकी नियुक्ति करेगी।

यहां देखें नोटिस-

पढ़ें :- राउज एवेन्यू कोर्ट से BRS नेता के कविता को लगा बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज

4589192_Letter-Final-Guideline-to-empanel-Local-Artists

किन्हें मिलेगी कॉलेज में सिखाने का मौका? अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, केंद्र या राज्य सरकार का अवॉर्ड और अपनी-अपनी फील्ड में कम से कम पांच साल का अनुभव रखने वाले कलाकारों और कारीगरों को मौका कॉलेज में सिखाने का मौका दिया जाएगा। ऑर्ट, क्रॉफ्ट, डांस, म्यूजिक, फाइन आर्ट समेत कई फील्ड में एक्सपर्ट्स यानी ‘कला गुरु’ आवेदन कर सकेंगे। इस पहल से स्थानी कलाकारों और कारीगरों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

इन तीन स्तरों पर होगी भर्ती

पहला स्तर: गुरु

ये कलाकार और कारीगर होंगे। इन्हें कम से कम पांच वर्ष का अनुभव और अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर अवॉर्ड मिला होना चाहिए।

पढ़ें :- Avneet Kaur Hot Pic: व्हाइट आउटफिट में अवनीत कौर ने शेयर की हॉट तस्वीरें, लेटेस्ट फोटोशूट देख फैन्स हुए दीवाने

दूसरा स्तर: परम गुरु

असाधारण कलाकार और कारीगर को परम गुरु लेवल पर रखा जाएगा। इसमें कम से कम 10 वर्ष का अनुभव और केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अपने काम को सराहना के तौर पर अवॉर्ड मिला होना चाहिए।

तीसरा स्तर: परमेष्ठी गुरु

ये प्रख्यात कलाकार और कारीगर होंगे। इस वर्ग में अपने क्षेत्र में कम से कम 20 वर्ष का अनुभव होना जरूरी होगा।

इन्हें मिलेगा मौका
मिट्टी के बर्तन, बांस, गन्ना, लकड़ी का सामान, टेराकोटा, मधुबनी, चरखा, बुनाई, मुगल नक्काशी, लकड़ी का काम, कपड़े पर प्रिंटिंग, आर्गेनिक कपड़ों को रंगना, हाथ की कढ़ाई, कारपेट बनाना, गायन, वादन, गुरबाणी, सुफियाना, लोककला गायक व नृतक, कव्वाली, जुगलबंदी, रॉकबैंड, कथक, ओडिसी, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, कथकली, भांगड़ा, गरबा, बिहु, फुगड़ी, योग, मेहंदी, रंगोली, कठपुतली आदि के कलाकार व कारीगर आवेदन कर सकेंगे।

यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत गाइडलाइन तैयार की गई है। इसका मकसद छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ कौशल विकास और भारतीय पारंपरिक कला से भी जोड़ना है। छात्रों को स्थानीय स्तर की कला और कारीगरी से भी रूबरू होने का मौका मिलेगा।

पढ़ें :- IPL Match Today: लखनऊ वाले आज मांगेंगे MI की जीत की दुआएं; प्लेऑफ के लिए दावेदारी मजबूत करने उतरेगी SRH

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...