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गुरु बनना चाहते थे ‘Super CM’ पर चन्नी ने पांच दिन में ही निकाल दी हवा, जानें क्यूं मैदान छोड़ भागे ?

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu)  ने कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) को कुर्सी से हटाने के लिए पंजाब में अभियान छेड़ रखा था। हालांकि इसमें वह सफल भी हुए। इसके बाद सिद्धू ने सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar)  व सुखजिंदर रंधावा (Sukhjinder Randhawa) को रोका और फिर चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को सीएम बनवाकर उनकी कमांड अपने हाथ में रखने का सपना संजोया था, लेकिन सिद्धू का सपना पांच दिन में चकनाचूर हो गया।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu)  ने कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) को कुर्सी से हटाने के लिए पंजाब में अभियान छेड़ रखा था। हालांकि इसमें वह सफल भी हुए। इसके बाद सिद्धू ने सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar)  व सुखजिंदर रंधावा (Sukhjinder Randhawa) को रोका और फिर चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को सीएम बनवाकर उनकी कमांड अपने हाथ में रखने का सपना संजोया था, लेकिन सिद्धू का सपना पांच दिन में चकनाचूर हो गया।

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हद तो तब हो गई जब चरणजीत सिंह चन्नी ने सिद्धू के कहने पर न तो पंजाब का डीजीपी बनाया और न ही विभाग बांटे गए। इस तरह गुरु के सुपर सीएम (Super CM) बनने के सपने की हवा पांच ही दिन में निकल गई और इसके बाद बीते सोमवार रात को ही सिद्धू ने इस्तीफा देने की ठान ली।

सिद्धू पीपीसीसी प्रधान बनकर भी नहीं बना पाए अपनी छवि

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) पीपीसीसी प्रधान बनकर कैप्टन को कुर्सी से हटवा दिया। बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की मंशा खुद सीएम बनने की थी लेकिन उनके पक्ष में विधायक नहीं खड़े हुए क्योंकि सिद्धू पीपीसीसी प्रधान बनकर अपनी छवि नहीं बना पाए। विधायक सिद्धू को सीएम बनाने के पक्ष में भी नहीं थे।

कांग्रेस हाईकमान ने सुनील जाखड़ को पंजाब का सीएम बनाने की तैयारी की, लेकिन सिद्धू को पता था कि जाखड़ उनके रिमोट से नहीं चलेंगे। इसलिए उन्होंने सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar)  का विरोध किया। फिर बात चली सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Randhawa) की ,लेकिन सिद्धू उनके नाम पर भी अड़ गए। रंधावा काफी तीखे व तेज तर्रार नेता हैं, सिद्दू ने उनका डटकर विरोध किया। आखिरकार हारकर हाईकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi)  के नाम पर मोहर लगा दी। पहले दो दिन गुरु ने चन्नी को अपने तौर तरीके से चलाने की पूरी कोशिश की, जिसमें वह काफी हद तक सफल भी हुए। चंद घंटों में अमृतसर व बटाला के इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन को हटाकर सिद्धू ने अपने चहेते को लगवा लिया, जिसका संदेश काफी नकारात्मक गया।

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चन्नी ने  इकबालप्रीत सिंह सहोता को डीजीपी बनाया 

सिद्धू सुपर सीएम बनकर फैसला लेने के लिए मैदान में आ गए। सिद्धू ने रंधावा को गृह विभाग देने का विरोध किया, लेकिन चन्नी ने डिप्टी सीएम रंधावा को गृह विभाग देकर साबित कर दिया कि वह गुरु के भी सीएम हैं। इसके अलावा सिद्धू ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय (Siddharth Chattopadhyay) को डीजीपी लगाने के लिए पूरा जोर लगाया, लेकिन चन्नी ने एक नहीं सुनी और इकबालप्रीत सिंह सहोता ()Iqbalpreet Singh Sahotaको डीजीपी (DGP) बनाया गया। सूत्रों के मुताबिक, चन्नी ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय (Siddharth Chattopadhyay) को लगाने से इसलिए मना किया, क्योंकि उनके डीजीपी की कुर्सी पर बैठने से पंजाब पुलिस अधिकारियों में जबरदस्त गुटबाजी शुरू हो जानी थी। जिससे पुलिस की साख को बट्टा लग सकता था। लिहाजा, इकबालप्रीत सिंह सहोता को डीजीपी बनाया गया।

गुरु की एक नहीं सुनी और राणा गुरजीत सिंह को बनाया मंत्री

सिद्धू ने परगट सिंह को निकाय विभाग देने के लिए जोर लगाया था ,लेकिन काफी सीनियर नेता ब्रह्म मोहिंद्रा से निकाय विभाग छीनकर परगट सिंह को देने से कैप्टन की लॉबी चन्नी को निशाने पर ले सकती थी। मंत्रियों में खटपट व खींचतान शुरू होने का खतरा था। चन्नी ने परगट सिंह को शिक्षा व खेल मंत्री बनाया, जिससे सिद्धू खफा हो गए। सिद्धू ने एक तीर से दो निशाने करने की कोशिश भी की, गृह विभाग रंधावा के स्थान पर परगट सिंह को देने की वकालत लेकिन चन्नी ने एक नहीं सुनी। कपूरथला से विधायक राणा गुरजीत सिंह को मंत्री न बनाया जाए, इसके लिए भी सिद्धू ने जोर लगाया। चन्नी ने गुरु की एक नहीं सुनी और राणा गुरजीत सिंह को मंत्री बनाया।

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