शारदीय नवरात्रि यानी मां दु्र्गा की उपासना के पावन नौ दिन। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि आठ दिन के पड़ रहे हैं। तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने के कारण 07 अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्रि 14 अक्टूबर को संपन्न होंगे। 15 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) का त्योहार मनाया जाएगा।
नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि यानी मां दु्र्गा की उपासना के पावन नौ दिन। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि (Navratri) आठ दिन के पड़ रहे हैं। तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने के कारण 07 अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्रि 14 अक्टूबर को संपन्न होंगे। 15 अक्टूबर को विजयादशमी (Dushahra)) का त्योहार मनाया जाएगा।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त-
नवरात्रि में घट स्थापना या कलश स्थापना (Kalash Sthapna) का विशेष महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है। कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी।
माता रानी की पूजा में लगने वाली पूजन सामग्री-
मां दुर्गा (Maa Durga) की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर. और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब,कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि।