धार्मिक ग्रन्थ दुर्गा सप्तशती को साक्षात भगवती मां दुर्गा का स्वरूप कहा गया है। इसमें समाहित मंत्रों-श्लोकों का एक-एक अक्षर, एक-एक मात्रा चैतन्य है और तत्काल प्रभाव डालने वाली है।
दुर्गा सप्तशती पाठ: धार्मिक ग्रन्थ दुर्गा सप्तशती को साक्षात भगवती मां दुर्गा का स्वरूप कहा गया है। इसमें समाहित मंत्रों-श्लोकों का एक-एक अक्षर, एक-एक मात्रा चैतन्य है और तत्काल प्रभाव डालने वाली है। दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्रि के दिनों में सर्वाधिक महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ के बिना संपूर्ण दुर्गा पूजा अधूरी मानी जाती है।नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में रोजाना दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) पढ़ने से मां प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति को धन-धान्य, मान-सम्मान और सौभाग्य का आशीर्वाद देती है। लेकिन दुर्गा सप्तशती पढ़ने का पूरा लाभ आपको मिले, इसके लिए कुछ जरूरी बातों और नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
शुद्धि की क्रिया संपन्न करना चहिए
शास्त्रों के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले साधक को स्नान आदि से पवित्र होकर, शुद्ध-स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके बाद आसन शुद्धि की क्रिया संपन्न करके आसन पर बैठे साथ में शुद्ध जल, पूजन सामग्री, दुर्गा सप्तशती की पुस्तक रखें।
13वें अध्याय तक उत्तम चरित्र समयाभाव से विशेष विधि से भी पाठ संपन्न किया जा सकता है। इसमें संपूर्ण पुस्तक को तीन भागों प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र में बांटा गया है। दुर्गासप्तशती के पहले अध्याय को प्रथम चरित्र, 2, 3, 4 अध्याय को मध्यम चरित्र और 5 से 13वें अध्याय तक उत्तम चरित्र कहा जाता है।
इस विधि से नवरात्रि में इस प्रकार पाठ करें
पहले दिन- प्रथम अध्याय
दूसरे दिन- दूसरा और तीसरा अध्याय
तीसरे दिन- चौथा अध्याय
चौथे दिन- 5, 6, 7 व आठवां अध्याय
पांचवें दिन- 9 व 10वां अध्याय
छठा दिन- 11वां अध्याय
सातवां दिन- 12 व 13वां अध्याय
आठवां दिन- मूर्ति रहस्य, हवन, क्षमता प्रार्थना।
नवां दिन- कन्याभोज, दान-दक्षिणा आदि। नवरात्रि में मां दुर्गा के 11 सिद्धपीठ के करिए दर्शन,