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Navratri Akhand Jyoti : अखंड ज्योत निरंतर जलती रहनी चाहिए, जलता हुआ दीपक आर्थिक संपन्नता का सूचक होता है 

भारत में मंदिरों और घरों में तेल के दीये जलाने की परंपरा सदियों पुरानी है। दीया या ज्योति ज्ञान, पवित्रता, सौभाग्य, समृद्धि का प्रतीक है और अंधकार/अज्ञान की स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Navratri Akhand Jyoti : भारत में मंदिरों और घरों में तेल के दीये जलाने की परंपरा सदियों पुरानी है। दीया या ज्योति ज्ञान, पवित्रता, सौभाग्य, समृद्धि का प्रतीक है और अंधकार/अज्ञान की स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है। आमतौर पर लोग दिन में दो बार तेल का दीपक जलाते हैं- एक बार सुबह नहाने के बाद और एक बार शाम को (लगभग शाम के समय)। जो दीपक कई दिनों तक जलता रहता है उसे अखण्ड ज्योति कहते हैं। इसलिए, भक्त नवरात्रि के दौरान मां देवी दुर्गा प्रसन्न करने के लिए अखंड ज्योति (शाश्वत दीपक) जलाते हैं। अखंड ज्योत नौ दिनों तक प्रज्वलित रहता है, और यही इसे एक अनूठा अनुष्ठान बनाता है। आइये जानते है अखंड ज्योति के नियम (नियम) और उपाय।

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1.अखंड ज्योति को हवा/खिड़की/दरवाजे आदि की दिशा से दूर रखें।
2.सुनिश्चित करें कि हवा के अचानक प्रवाह के कारण यह बुझ न जाए।
3.आप इसे हवा से बचाने के लिए  खुले शीर्ष वाले कांच के सिलेंडर का भी उपयोग कर सकते हैं। दीये में तेल की मात्रा चेक करते रहें।
4.अखण्ड ज्योति में एक नई बत्ती डालें, उसमें रोशनी करें और पुरानी बत्ती के जले हुए सिर के जले हुए हिस्से को एक पतली छड़ी से धीरे से हटा दें।

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