कोरोना महामारी ने रिश्तों को तार तार करके रख दिया है। इसने बता दिया कि रिश्ते सब मोह माया हैं, जो जिंदा रहते आप से बहुत प्यार करते हैं, पर मरने के बाद लाश तक के नजदीक नहीं आते।आजकल इस महामारी के दौर में न शास्त्र, न पुरोहित, न चार कंधे और न ही एंबुलेंस...
अलीगढ़। कोरोना महामारी ने रिश्तों को तार तार करके रख दिया है। इसने बता दिया कि रिश्ते सब मोह माया हैं, जो जिंदा रहते आप से बहुत प्यार करते हैं, पर मरने के बाद लाश तक के नजदीक नहीं आते। आजकल इस महामारी के दौर में न शास्त्र, न पुरोहित, न चार कंधे और न ही एंबुलेंस…
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सोमवार को एक बेटा अपने पिता के शव को ई-रिक्शा से श्मशान लेकर पहुंचा। सांस उखड़ने के चलते बेड न मिलने पर अस्पताल से लौटाया गया तो रास्ते में ही मौत आ गई। परिजन शव के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए हैं।
बता दें कि लक्ष्मीपुरी, सरायहकीम निवासी चेतन गुप्ता ने बताया कि उनके पिता रामेन्द्र प्रसाद गुप्ता की सुबह तबियत बिगड़ने लगी थी। सांस फूलने पर पर नजदीक में ही जिला मलखान सिंह अस्पताल में भर्ती कराने के लिए पहुंचे तो वहां जांच कराने के लिए कहा गया है। उनको बताया कि गया इस समय ऑक्सीजन की जरूरत है तो दीनदयाल ले जाने को कहा गया है। बाहर लाने के दौरान ही पिता ने दम तोड़ दिया।
लाचार बेटे ने पिता के शव को एंबुलेंस से घर ले जाने के लिए गुहार लगाई लेकिन कोई सहारा नहीं मिला। जिसके बाद बेटा पिता के शव को मजबूरन ई-रिक्शा में आईटीआई रोड स्थित मुक्तिधाम लेकर पहुंचा है।