जीवन में जब सफलता नहीं मिलती और संद्यर्षों से रातों दिन सामना करना पड़ता है तो भाग्य के खेल को जानने की इच्छा व्यक्ति के अंदर आ ही जाती है। कुंडली में जब ग्रहों की चाल अनुकूल न हो तो कुंडली के दोषों की ओर ध्यान जाता है।
Nagpanchami: जीवन में जब सफलता नहीं मिलती और संद्यर्षों से रातों दिन सामना करना पड़ता है तो भाग्य के खेल को जानने की इच्छा व्यक्ति के अंदर आ ही जाती है। कुंडली में जब ग्रहों की चाल अनुकूल न हो तो कुंडली के दोषों की ओर ध्यान जाता है। ज्योतिषविदों के अनुसार कालसर्प दोष से पीड़ित कुंडली को जल्द सफलता नहीं मिलती है।
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि कालसर्प में सर्प की भूमिका है। हिंदू धर्म में सर्प की पूजा की होती है। कालसर्प दोष निवारण के लिए नागपंचमी के दिन को सर्वोत्तम माना गया है। क्योंकि इस दिन नागों की पूजा का विधान है। इसलिए इस दिन कालसर्प दोष वालों को चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा भगवान शिव को अर्पित करने को कहा जाता है इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। आईये जानते हैं कि कहां कहां होती है कालसर्प दोष निवारण की पूजा।
कालसर्प दोष के लिए इसके बारे में समझना भी जरूरी है। आधुनिक ज्योतिष में इसे पर्याप्त स्थान दिया गया है, लेकिन विद्वानों की राय भी इस बारे में एक जैसी नहीं है। मूलत: सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहू के होने को कालसर्प दोष माना जाता है।
त्र्यंबकेश्वर: द्वादश ज्योतिर्लिंग में से केवल एक नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का नागपंचमी के दिन अभिषेक, पूजा की जाए तो इस दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिलती है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक के पास गोदावरी के तट पर स्थित है। कालसर्प योग से मुक्ति के लिए बारह ज्योतिर्लिंग के अभिषेक एवं शांति का विधान बताया गया है।
बद्रीनाथ धाम: बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। कहते हैं कि यहां पर भी कालसर्प दोष के साथ-साथ पितृदोष की भी पूजा कराई जाती है। बद्रीनाथ धाम में ब्रह्मकपाली स्थान पर यह पूजा होती है।
त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर: यह दक्षिण भारत में तंजौर जिले में स्थित त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर के पास भी काल सर्पदोष से मुक्ति हेतु पूजा की जाती है।