ब्लू बेल्स स्कूल महानगर और इसके वरिष्ठ वर्ग, राजमाता अकादमी, अलीगंज के शिक्षकों और छात्र, छात्राओं के द्वारा 16 दिसंबर को स्कूल का स्थापना दिवस मनाया गया। स्कूल की स्थापना शिक्षा की अलख समाज में जगाने के उद्देशय से सन 1974 में की गई थी।
लखनऊ। ब्लू बेल्स स्कूल महानगर और इसके वरिष्ठ वर्ग, राजमाता अकादमी, अलीगंज के शिक्षकों और छात्र, छात्राओं के द्वारा 16 दिसंबर को स्कूल का स्थापना दिवस मनाया गया। स्कूल की स्थापना शिक्षा की अलख समाज में जगाने के उद्देशय से सन 1974 में की गई थी। इसके साथ ही स्कूल प्रशासन ने स्कूल की संस्थापक रह चुकि मैडम अस्थाना को भी इस दौरान याद किया गया। संस्थापक श्रीमती प्रभा अस्थाना इस मई में अपने स्वर्गीय निवास के लिए रवाना हुई थीं, इसलिए उत्सव धूमिल थे।
दोनों स्कूलों के छात्रों, कर्मचारियों और प्रबंधन ने संस्थापक की तस्वीर पर फूल चढ़ाए। सुश्री चारू प्रिया अस्थाना, प्रबंधक, ब्लू बेल्स एजुकेशनल सोसाइटी और सुश्री छवि घोष, प्रिंसिपल द्वारा संस्थापक के प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में छात्रों को फेस मास्क दिया गया। इस अवसर पर श्रीमती प्रभा अस्थाना के जीवन के विभिन्न रंगों को दर्शाने वाली तस्वीरों का प्रदर्शन किया गया। शिक्षकों ने बताया कि मैडम अस्थाना एक दूरदर्शी महिला थीं। उन्होंने वंचितों के लिए अथक परिश्रम किया और उन्हें शिक्षा प्रदान की।
समाज के प्रति सेवा के उनके मिशन को व्यावसायिक दृष्टिकोण ने कभी बाधित नहीं किया। यहां तक कि जब कोरोना महामारी का दौर था, तब भी बच्चों को निर्बाध शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूल ने अपनी ऑनलाइन कक्षाएं जारी रखीं। जिन बच्चों के पास ऑनलाइन कक्षाओं में जाने के साधन नहीं थे, उनकी शिक्षा में सहायता के लिए, स्कूल ने उन्हें स्मार्ट फोन प्रदान किए और घर पर मुद्रित अध्ययन सामग्री की आपूर्ति की।
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने मैडम अस्थाना को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में श्री अतुल श्रीवास्तव, अध्यक्ष, यूपी निजी स्कूल एसोसिएशन, प्रोफेसर ओंकार प्रसाद, लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रोफेसर लीना बर्मन, लखनऊ विश्वविद्यालय; पूर्व सीआईएसएफ, श्री शरद चौधरी; कैप्टन प्रवीण किशोर, पायलट यूपी सरकार; विवेक सक्सेना, आईएफएस, प्रबंध निदेशक, हरियाणा वन विकास निगम शामिल रहे। इस दौरान पूर्व छात्रों द्वारा भक्ति गीतों और यादों ने दिन को चिह्नित किया। निरंकारी मिशन के संतों ने संस्थापक के लिए प्रार्थना की। प्रतिभागियों द्वारा प्रसाद और कॉफी पीने के बाद स्मरणोत्सव का समापन हुआ।